इस्लाम में महिलाओं की ताकत को पहचान देने वाली बीबी का जन्मदिन आज , सभी को बहुत बहुत मुबारक हो :शाहिद नक़वी

गमे हुसैन की परवरदिगार है जैनब, यजीदियत के लिए जुल्फेकार है जैनब

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इसलाम धर्म में जब भी कर्बला के शहीदों का जिक्र होता है तो हज़रत इमाम हुसैन का नाम सबसे पहले जेहन में आता है। कर्बला में पुरूषों के साथ बच्चे और महिलाएं भी थीं।उनमें से एक इमाम हुसैन की बहन और पैग़म्बरे इस्लाम की नवासी जनाबे जैनब भी थी।

 

बेशक वह कर्बला के मैदान में तलवार ले कर नहीं उतरीं। लेकिन वह जंग की एक हिस्सा जरूर थी। उन्होंने आतंकवादी यज़ीद और उसके सूबेदारों के खिलाफ जम कर मोर्चा लिया, दुनिया को कर्बला के बारे में तो बताया ही साथ में ये भी साबित किया कि पैग़म्बरे इस्लाम मोहम्मद मुस्तफा स.स. के खानदान और इस्लाम में महिलाओं की क्या अहमियत थी।अगर ज़ैनब न होतीं तो हुसैन को शायद सिर्फ एक ऐसे योद्धा के रूप में याद किया जाता जिसने तत्कालीन राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ा था।ये ज़ैनब के भाषण और उपदेश ही थे जिन्होंने हुसैन की कुर्बानी को लोगों के बीच पहुंचाया था।

 

ज़ैनब ही वो थीं जिन्होंने कर्बला में हुसैन के एक बीमार बेटे अली इब्न अल हुसैन जैन उल अबीदिन की जान बचाई थी।उस दौर में ज़ैनब के भाषण लोगों में स्फूर्ति लाते थे और उनकी बहन और फातिमा कुब्रा (हुसैन की बेटी) भी लोगों को जागरुक करते थे। ज़ैनब ने हुसैन की कुर्बानी की कहानी लोगों तक पहुंचाई, वो जहां भी जाती लोगों को अपने दादा, पिता और भाई की कहानी सुनाती।

 

दमास्कस के बाजार में पहुंचने के बाद उन्हें 72 घंटों तक बाज़ार के चौराहे पर खड़ा रखा गया। तब भी ज़ैनब ने भाषण दिया और लोगों को बताया कि हुसैन ने किस तरह अपना बलिदान दिया था।आज इस्लाम में औरतों के महत्व को पहचान देने वाली उन्हीं बहादुर जनाबे जैनब का जन्मदिन है,🎉।सब को बधाई 🎉🤲

 

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