पत्रकार इशरत हुसैन
जौनपुर। बड़ी पुरानी कहावत है कि कोयले की दलाली में हाथ तो काला होता है मन भी काले हो जाते हैं। लेकिन रेलवे सुरक्षा बल भंडारी जंक्शन पर टिकट की कालाबाजारी करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर उसके हाथ को कम काला करने का प्रयास कर रही है। जौनपुर जंक्शन कंपाउंड से बाहर निकलते ही एक व्यक्ति जो काफी अर्से से टिकट की दलाली का धंधा बड़े पैमाने पर कर रहा है।
जिसकी पकड़ काफी ऊंची दर्जे की है। आज दोपहर को रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। काफी देर तक इस संबंध में जानकारी करने का प्रयास भंडारी स्टेशन पर जाकर किया गया लेकिन सुरक्षा बल प्रभारी अनिल कुमार ने इस संबंध में जानकारी देने से इधर-उधर कतराते हुए नजर आए।
इससे यह प्रतीत होता है कि रेलवे सुरक्षा बल पुलिस की पुलिस कोई लंबा गेम खेलने का प्रयास कर रही है। वैसे दलालों के हाथ टिकट काउंटर से लेकर काफी दूरी तक रहते हैं घंटों टिकट के लिए लाइन लगाने वाला यात्री सुबह जब तत्काल टिकट का काउंटर खुलता है तो उसे या बड़ी आसानी से एक जवाब काउंटर पर बैठे बाबू द्वारा दिया जाता है कि सर्वर डाउन चल रहा है इसलिए टिकट नहीं निकल पाएगा।
यह बात जनपद में चर्चा का विषय बन गई है कि जब से नए टिकट आरक्षण प्रभारी सुनील कुमार मिश्रा जब से कार्यभार संभाले हैं तब से अक्सर ही आरक्षण केंद्र का सरवर ही डाउन हुआ रहता है जो अपने में एक अलग सवालिया निशान है।
जैसे ही या सरवर चलता है पता चला कि सारे टिकट प्राइवेट ट्रैवल एजेंसियों से यह टिकट उठ चुके होते हैं। यात्री मायूस होकर इस बात के लिए विवश हो जाता है कि वह किसी प्राइवेट ट्रैवल एजेंसी से महंगे दामों पर टिकट खरीदने के लिए बाध्य हो जाता है। खासकर भंडारी स्टेशन से होकर जाने वाली गोदान एक्सप्रेस का टिकट मिलना काउंटर से तो पूरी तरह असंभव है। यह टिकट को ज्यादातर आजमगढ़ मऊ बलिया जौनपुर और शाहगंज में हैक कर लिया जाता है।
दूसरी तरफ यह कहा जाता है कि टिकट का लंबा कारोबार करने वाले धीरे-धीरे करोड़पति बन गए हैं और उनका सीधा संपर्क यहां के टिकट बाबू आरक्षण केंद्र प्रभारी से सांठगांठ किए रहते हैं इनका हिस्सा लिफाफे में रखकर इनके कमरों तक पहुंचा दिया जाता है। टिकट दलालों की बात कही जाए तो आरपीएफ पुलिस भी इनके बारे में अच्छी खासी जानकारी लगती है लेकिन जब इनके हिस्से में कुछ कमी आती है तो यह कार्रवाई करने के लिए एक कदम आगे बढ़कर फिर पीछे हट जाते हैं।