भाजपा परिवारवाद के नाम पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को सीधा निशाना बनाती आई है। 2014 से इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा हमला बोला जा रहा है। भाजपा का आरोप है कि सपा में मुलायम सिंह यादव खानदान और कांग्रेस में गांधी परिवार सत्ता से संगठन तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काबिज रहता है। भाजपा नेता इन्हें परिवारवादी पार्टियां कहते आए हैं। चुनावों में इसका असर भी हुआ।
सपा का परिवारवाद: अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष, डिंपल यादव सांसद व प्रत्याशी, प्रो. रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद, शिवपाल सिंह यादव विधायक व प्रत्याशी,धर्मेंद्र यादव प्रत्याशी, अक्षय यादव प्रत्याशी।
अपना दल (कमेरावादी): अपना दल के नेता स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल ने अपना दल कमेरावादी बना रखा है। कृष्णा पटेल को अवसर मिला तो सबसे पहले बड़ी बेटी पल्लवी पटेल को आगे किया। सपा से गठबंधन कर पल्लवी विधायक बनने में सफल रहीं।
पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य परिवार को आगे बढ़ाने की महत्वकांक्षा में बसपा व भाजपा के बाद सपा की भी यात्रा कर चुके हैं। बेटी संघमित्रा मौर्य व बेटे उत्कर्ष को आगे बढ़ाने में लगे रहे। भाजपा में रहते हुए बेटी संघमित्रा को बदायूं से टिकट दिलाया और वह सांसद बनी। बेटे को बसपा में रहते हुए विधायक का टिकट दिलाया लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इस बार बेटी का बदायूं से टिकट कट गया और वह सपा छोड़कर अपनी पार्टी बना चुके हैं।
अक्षयवर लाल गोड़ बहराइच से भाजपा के सांसद हैं। 75 साल पार कर चुके हैं। इस लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अक्षयवर लाल का टिकट काट दिया। लेकिन,बहराइच का नया प्रत्याशी अक्षयवर लाल गौड़ के बेटे आनंद गोड़ को ही बनाया है। कहा जा रहा है कि संगठन्निष्ठ होने का इनाम उन्हें मिला है।