सदर लोक सभा 73 के मतदाता मौन,चुनावी माहौल शांत

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जौनपुर। लोकसभा का चुनाव का पूरे देश में बिगुल बजा रहा है लेकिन 73 लोक सभा सदर जौनपुर सीट पर एका एक सन्नाटा छा गया है नामांकन के आखरी दिन पूर्व सांसद की पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह का बसपा से अचानक टिकट काटना सदर सीट का समीकरण ही बदल गया है कार्यकर्त्ता शांत है, मतदाता मौन है और पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश व जज्बे की कमी दिखाई पड़ रही है।

लेकिन जेल से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को रिहा होते ही चुनावी समीकरण सातवे आसमान पर नज़र आने लगा था यह मना जा रहा था की उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित सीट रहेंगे क्यू की धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को बसपा का उम्मीदवार घोषित किया गया पति की एक तरफ जेल से रिहाई हो रही थी तो पत्नी अपना नामांकन कर रही थी!

ज़िलें का अचानक राजनीतिक माहौल एका एक गर्म हो गया था बसपा नेताओं कार्यकर्ताओं और धनंजय के समर्थक इतना उत्साहित थे कार्यकर्ताओ में खूब हो हल्ला हो रहा था चट्टी चौराहो पर गर्मागरम बहस चल रही थी लेकिन श्रीकला का टिकट कटने के बाद से एक बार फिर राजनीतिक गलियारा पूरी तरह शांत हो गया है।

मतदाताओं की खमोशी से राजनीति पण्डितों की नींद उड़ गयी है। कोई यह स्पष्ट कर नहीं पा रहा है कि आखिर क्यों  73 लोक सभा का राजनीतिक गलियारा तरह से ठण्डा पड़ा है।

चुनावी विगुल बजने के साथ ही जिले में हो हल्ला शुरू हो जाता था शहर से लेकर गांव गांव तक के घरो पर पंसदीदा पार्टियों के झण्डे लहराने लगते थे , सभी राजनीतिक पार्टियांे के नेता कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगने के लिए सुबह से ही घरो से निकल जाते थे देर रात चुनाव प्रचार करके वापस घर लौटते रहे है। हर तरफ नेताओं व कार्यकर्ताओं का हुजुम पार्टी और प्रत्याशी का जिन्दा बाद के नारे लगाते थे। तमाम मतदाता भी खुलकर बोलते थे तो कोई इशारे में अपना मत प्रर्दशित कर देते थे जिससे यह अस्पष्ट हो जाता था कि कौन पार्टी आगे है किसके- किसके बीच  मुकाबला चल रहा है

लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में ऐसे कुछ नही है मतदाता चुप्पी साधे हुए है उधर पार्टियों के कार्यकर्ताओं में कोई जोश दिखाई नही पड़ रहा है। जो कर्मठ कार्यकर्ता है वो तो पार्टी व प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार कर रहे है लेकिन जोश गायब है। समाजवादी पार्टी के नेताओ कार्यकर्ताओं में कुछ हद तक उत्साह दिखाई पड़ रहा है लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं में वह उत्साह नही दिख रहा है जो पूर्व की चुनावों में दिखता था। हालत यह है कि अभी तमाम नेताओं व कार्यकर्ताओं के घरों से झण्डे भी गायब है।

 

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