जौनपुर। जैसे-जैसे मतदान की घड़ी नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे प्रत्याशियों को लेकर अटकलें तेज हो रही है। वही इन अटकलें की बाजार में एक सांसद इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं। इस सांसद के बारे में यह कहा जा रहा है कि यह जनपद का पहले ऐसे सांसद हैं जो चुनाव जीतने के बाद ऐसा गायब हुए थें जैसे गधे के सर से सिंग गायब होने की कहावत कही गई है। इनके बारे में चर्चा तो यह भी है कि पूरे कोरोना कल में जहां तमाम सामाजिक संगठन के लोग कमजोर वर्ग के लोगों के लिए मदद के लिए उतरी हुई थी वही सांसद जी का मीलों तक पता नहीं चला। कभी-कभी जब जनपद में इनका आगमन होता था तो जैसे केंद्रीय मंत्री के प्रोटोकॉल आते हैं इस तरह से या लिखा हुआ आता था कि दिनांक इस तारीख को मिलेंगे सांसद जी। जबकि चुनाव में सांसद बनने से पहले जनता से कांधे से कांधा मिलाकर साथ चलने का वादा किया था लेकिन चुनाव जीतने के प्रोटोकॉल देने लगें थें। फिलहाल 5 सालों में उनके किए गए कार्यों का लेखा-जोखा का अब जनता इनसे हिसाब मांगेगी। जब यह जनता के दरवाजे पर जाकर वोट मांगेंगे तो उनको जनता की कीमत समझ में आएगी। ट्रेन को झंडी दिखाना बहुत बड़ा काम जनता नहीं मान रही है वैसे भी यह सांसद झंडी दिखाने की में माहिर माने जाते हैं। जिस विश्वास से यह दोबारा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे हुए हैं। इसका जवाब जनता मतदान वाले दिन सही-सही दे देगी। जनता के बीच से हमेशा नदारत रहने वाले यह सांसद आखिर किस विश्वास से दोबारा जनता से वोट मांगेंगे और जनता इन्हें स्वीकार करती है या नहीं करती है या तो उस दिन ही पता चल जाएगा की सांसद जी क्या फिर उसी सवारी पर बैठकर दिल्ली चले जाएंगे या पैदल ही जौनपुर की गलियों में भटकते ही नजर आएंगे।