विधान सभा चुनाव 2027: योगी के लिए कठिन है डगर पनघट की

विस या लोस उप चुनाव होंगे सेमी फाइनल, भाजपा कार्यकताओं में उपजा असन्तोष दूर करेंगे पार्टी के नए हाई कमान, पुराने हाई कमान ने दागी किंतु पैसे वाले प्रत्याशियों को थोपकर पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं का मारल कर दिया डाउन l मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ का लक्ष्य- प्रशासनिक दबदबा खत्म करने वाली नौकरशाही को पटरी पर लाना, ताकि आमजन का ब्लॉक व थाने से लेकर जिला मुख्यालयों तक बिना पैसा दिये  शिकायतों का निस्तारण हो, नकल विहीन परीक्षाएं व बेरोजगारी दूर हो l

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कैलाश सिंह/अशोक सिंह

वाराणसी/लखनऊ(तहलका टीम)l लोकसभा चुनाव 2024 ने जहाँ एक बार फिर गठबन्धन वाली सरकार की शुरुआत कर दी वहीं जातीयता को बढ़ावा दे दियाl भाजपा द्वारा संविधान व आरक्षण संबन्धी दिये गए वक्तव्य को कांग्रेस द्वारा पलटकर उसे अपने पक्ष का नारा बनाकर अति पिछड़ों व दलित के मन को विचलित करके चुनावी परिणाम को गठबंधन की स्थिति में ला दिया l इसी के साथ खत्म हो रहे क्षेत्रीय दल जी उठे और उनकी महत्ता बढ़ गई

 

महंगाई के साथ बेरोजगारी समेत हर प्रांत की समस्या जस की तस रह गई l यूपी में तो पेपर लीक से लेकर पुलिस भर्ती में भ्रष्टाचार और बढ़ती बेरोजगारी ने सिर चढ़कर बोला तब मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ नाथ ने सख्ती बरतनी शुरू की और इसे शीघ्र दूर करने के लिए पहला आदेश जारी कर दिया, लेकिन फर्जीवाड़ा ( झूठा रौला)रोकने को लेकर राजधानी से चले आदेश ने आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन को दो दिन में जिस तरह आमने- सामने किया उससे छुट भैये से लेकर दबंगई करने वाले कथित नेताओं की पौ बारह हो गई l क्योंकि पुलिस ने किसी खुन्नस में प्रशासनिक अफ़सरों की गाड़ियों से ही फ्लैश लाइट, हूटर उतराने शुरू किये जबकि प्रदेश के हर जिले में कुछ बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, विभिन्न पार्टियों के झण्डे लगाकर चलने वाले कथित नेता और उनके गुर्गे हूटर व फ्लैश लाइट ही नहीं काली फिल्म भी लगाकर चलते हैं l इन्हीं की देखदेखी आपराधिक प्रवृत्ति वाले भी अपनी गाड़ी हाँक रहे हैं l इनपर तो रोक 2017 में ही लगनी चाहिए थी, लेकिन हुआ इसलिए नहीं क्योंकि नौकरशाही वही थी और उसकी कार्य संस्कृति पूर्ववर्ती सरकारों वाली थी ल

 

यूपी में भाजपा की सीटों और वोट प्रतिशत में आई गिरावट के आकलन को जहाँ टास्क फोर्स लगी है वहीं राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर पर संगठन में बदलाव क्या गुल खिलाएगा यह तो वक्त पर निर्भर है लेकिन मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ के सामने 2027 के विधान सभा के होने वाले चुनाव की डगर पनघट वाली ही हैl उन्हें इसी नौकरशाही से तीन साल में मन्जिल हासिल करनी हैl इसकी शुरुआत उन्होंने लोस चुनाव परिणाम आने के तुरन्त बाद कर दी l

 

लेकिन बेरोजगारी,भ्रष्टाचार की जड़ में नौकरशाही को अलग करके नहीं देखा जा सकता है l इसके लिए प्रमाण खोजने के लिए मशक्कत भी नहीं करनी होगी l प्रदेश के किसी भी जिले में ब्लॉक व थाने से लेकर तहसील और जिला मुख्यालय के दोनों महकमों के दफ्तर में जाने पर पीड़ितों व शिकायत कर्ताओं को परिचारक व बाबू रेट लिस्ट बता देते हैं l थाने में फोन गुम होने के आवेदन पर मुहर लगाने के भी रेट फिक्स हैं l ग्राउंड लेबल की यह जानकारी सीएम को उनकी निजी टीम दे रही है

 

बेरोजगारी के मामले में पूर्वांचल की दो बानगी देखिए- एक है फूलपुर में बनी अमूल दूध की बनास फैक्ट्री l यहाँ लेबर छोड़कर सारे छोटे- बड़े कर्मचारी, अधिकारी गुजरात के भरे हैं l दूध सप्लाई की उम्मीद में पशु तबेला चलाने वालों की उम्मीद पर तब पानी फिर गया जब वहाँ अभी तक गुजरात से ही पाउडर व सोयाबीन का दूध लाया जा रहा है l ऐसे में छोटे बड़े पशु पालन करने वालों के लिए वही पुरानी मिठाई वाली दुकानें सहारा बनी हैं l बाकी घर -घर दूध पहुंचाने वालों को भी सप्लाई एवं फूड विभाग वालों को दो हजार महीना  देना विवशता है अन्यथा उनके सेम्पल लेकर पेनाल्टी ठोंक दी जाएगी l दूसरी विषम स्थिति वाराणसी के गंगा घाटों पर लगे क्रूज़ हैं जो रेस्टोरेंट सरीखा काम आ रहे, इसके चलते यहाँ के नाविक बेरोजगारी झेलने लगे l इन सभी क्रूज़ में भी गुजरात के लोग ही लगे हैं l प्रधान मन्त्री मोदी के कम वोट प्रतिशत में नाविकों का भी अहम रोल माना जा रहा है ल

 

राजनीतिक सूत्र बताते हैं की भर्ती परीक्षाएं शीघ्र कराने को योगी सरकार युद्ध स्तर पर लगी है l ऐसा भी संभव है जब सीएम योगी रेंडम जाँच के लिए प्रदेश के कुछ चुनिंदा जिलों में छापामार शैली अपनाते हुए शासन के दबदबा को बढ़ाते हुए पुलिस- प्रशासन का भी इकबाल कल्याण सिंह की सरकार जैसा बुलन्द कर दें ल

 

 

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