पैगंबरे इस्लाम ने हजरत अली को गदीरे खुम में बनाया अपना जांशीन

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लखनऊ। गदीर की सरजमीन तारीख-ए- इस्लाम के एक अहम वाक्ये की गवाह है। इस्लामी माह जिलहिज्जा की 18 तारीख सन 10 हिजरी का दिन था, गदीरे खुम का स्थान था।

इस दिन पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहव (स.अ.) ने हजरत अली (अ.स.) को अल्लाह के आदेश से अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। ईद गदीर इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। जव हजरत मोहम्मद साहव हज से वापस लौट रहे थे और जव हाजियों का कारवां ‘गदीर खुम’ नामक स्थान पर पहुंचा तो फरिश्ते जिवराईल पैगम्बरे इस्लाम के पास पवित्र कुरान की आयत लेकर उतरे, जिसमें अल्लाह कह रहा है, हे पैगम्बर जो आप पर नाजिल (अवतरित) किया जा चुका है उसे पहुंचा दीजिए,अगर आपने ऐसा न किया तो आपने अल्लाह के दूत होने का हक अदा नहीं किया।

 

आयत के नाजिल होने के वाद हजरत मोहम्मद साहव ने कारवां को रोकने का हुक्म दिया और वह भी ऐसी वक्त कि जव हाजी एक ऐसे स्थान के नजदीक हो चुके थे कि जहां से मदीना, मिस्त्र और ईराक के मुसाफिर अलग-अलग हो जाते थे। पैगम्वरे इस्लाम के आदेश से ऊंट की पीठ पर रखी जाने वाली काठी ईद-ए-गदीर पर विशेष का मिंवर वना।

 

उस मिंवर पर पैगम्बरे इस्लाम खड़े हुए और आपने अपने पास हजरत अली अलैहिस्सलाम को खड़ा किया और अपने उत्तराधिकारी नियुक्त करने का एलान करते हुए फरमाया ‘मनकन्तो मौला, फहाजा अलीउन मौला’ यानि कि जिस जिस का मै मौला हूं उनके अली मौला है।

इस घोषणा के वाद लोगों ने हजरत अली (अ.स.) का वधाईयां दी गयी और कहा कि ऐ अवतालिव के वेटे आज से आप हर मोमिन के मौला है।

गदीर खुम कहां है

गदीर खुम मक्का और मदीना के वीच एक क्षेत्र है जो हाजियों के रास्ते पर पड़ता है। यह वह जगह है जहां वारिश का पानी एक तालाव में इकट्ठा होता था। गदीर खुम जोहफा से 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोहफा मक्के से 64 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। जोहफा उन पांच मीकात स्थलों में है जहां से हाजी हज का विशेष लिवास एहराम पहनते है। जोहफा वह जगह है जहां से पैगम्बरे इस्लाम के समय में मिस्र, इराक, सीरिया और मदीना के निवासी एक दूसरे से जदा होते थे। गदीर खुम में पानी और कई पुराने पेड़ की वजह से करवां वाले वहां ठहरते थे।

 

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