उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का एक ‘माननीय’ भर्ती परीक्षाओं का है बेताज़ खिलाड़ी

यूपी में पेपर लीक के चलते प्रतियोगी व भर्ती परीक्षाओं के रद्द होने और बढ़ती बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर जहाँ विपक्ष ने सरकार को घेरा वहीं युवाओं को आंदोलन की राह मिल गई, लोक सभा चुनाव में भाजपा की करारी हार से दिल्ली का सिंहासन भी उत्तर प्रदेश के चलते दूर हो गया तो गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी l मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने यूपी में परीक्षा अध्यादेश 2024 को मन्जूरी दे दी जिसमें उम्र कैद व एक करोड़ जुर्माना की सजा होगी, लेकिन पूर्वांचल का एक माननीय अरसे से युवकों को नौकरी दिलाने के बाद रोजगार पाने वालों से दो से 10 लाख वसूलता है, जॉब पाने वाले खुशी से देते हैं और दूसरे बेरोजगारों को उसके पास भेजते भी हैंl

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कैलाश सिंह/अशोक सिंह

नई दिल्ली/लखनऊ (तहलका टीम)l दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी हो नौकरी की गारन्टी पूर्वांचल का एक माननीय बिना प्रचार किए देता है जो बेरोजगारों और उनके अभिभावकों को सहजता से मन्जूर होता है, और हो भी क्यों नहीं? वह जॉब दिलाने के बाद तय की गई रकम लेता हैl दी गई जुबान के एवज में युवकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र और सम्पर्क कराने वाले गारंटर की कुंडली रखता है क्योंकि काम होने के बाद उसे भी कमीशन देता हैl

 

यह कार्य वह लगभग दो दशक से कर रहा है l एक दशक पूर्व वह केन्द्र सरकार की नौकरी (रेलवे)में आरक्षण के तहत था, तभी से वह इस धंधे को दिल्ली से संचालित करता था लेकिन भर्ती पाने वाले युवाओं से वह या उसके लोग पूर्वांचल के उसके गाँव में ही बात करते रहे हैं l पिछले विधान सभा चुनाव में टिकट से पैसे कमाने वाली एक राजनीतिक पार्टी को उसने पकड़ा l पार्टी मुखिया की मांग से दोगुना रकम देकर वह चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल कर माननीय बन बैठा l इसके बाद वह अपने शागिर्दाे को जॉब की गारन्टी वाले काम के मोलभाव में लगा दिया l उसकी जुगाड़ लालू यादव के रेल मंत्री काल से बनी तो टूटी नहीं बल्कि बढ़ती गई l सूत्र बताते हैं कि नौकरी दिलाने के खेल का बेताज़ बादशाह वह अभी तक इसलिए बना है क्योंकि  इस काम में हर कदम पर उसका साथ देने वालों को कभी शिकायत का मौका नहीं मिला l कई बार जाँच के घेरे में खुद आया लेकिन राजनीतिक पकड़ के चलते बचकर निकलता गया l यह रेलवे, लेखपाल, ग्राम पंचायत अधिकारी, पुलिस में एसआई से सिपाही तक भर्ती में यह बादशाह तो रहा ही है, नीट, नेट परीक्षाओं में भी इसकी सेटिंग से तमाम युवा रोजगार में लगे हैl

दरअसल इसकी सेटिंग यूपी से लेकर दिल्ली और कई प्रांतों में परीक्षा कराने वाली एजेंसियों से बताया जाता है l बेरोजगारों के लिए जॉब दिलाने या प्रतियोगी परीक्षाओं में पास कराने के एवज में रकम की डिमांड इतनी कम होती है कि उनके अभिभावकों को भी देने में नहीं अखरताl फ़िर चाहे इसके लिए उन्हें खेत या जेवर को बंधक रखना हो अथवा बेचना ही क्यों न पड़े l निजी

 

मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेजों  में बिना परीक्षाओं के भर्ती होने वाले छात्रों के अभिभावक लाखों, करोड़ों देकर सीट खरीद लेते हैं, बाद में वही डॉक्टर, इंजीनियर आमजन के लिए बड़े हादसों के ‘कारण’ बनते हैं l

इधर लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने रुके विकास कार्यों में तेज़ी लाने, नौकरशाही में भ्रष्ट तन्त्र का जाल तोड़ने के साथ किसानों, गरीबों की सहूलियत निर्बाध रखने पर जहाँ आदेश पर आदेश जारी कर रहे हैं वहीं 25 जून को अपने कैबिनेट के जरिए परीक्षा अध्यादेश को मंजूरी दे दी l अब पेपर लीक, नकल आदि में पकड़े जाने वालों को उम्र कैद और एक करोड़ तक जुर्माना की सजा होगीl इससे कितना असर पड़ेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन पेपर लीक हो या भर्ती के मामले, इसमें सरकारी तन्त्र माननीय व नौकरशाही के कुछ खास लोगों की सनलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है l रिपोर्ट में हम जिस माननीय की बात कर रहे हैं उससे ज्यादा सतर्कता जॉब पाने वाले बररतते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी की लालच होती है l यह बानगी पूर्वांचल के एक जिले की है l इसमें प्रमाण खोजने की ज्यादा जहमत नहीं उठानी हैl बस पुलिस की रद्द हुई भर्ती परीक्षा का कोई अभ्यर्थी मिल जाए और वह बोल भर देl जौनपुर की बानगी- यहाँ पुलिस- प्रशासन के हाल यथावत हैं l थाने हों या तहसील हर जगह मनमानी रकम वसूली जारी हैl इससे जाहिर होता है कि प्रदेश की नौकरशाही में कोई तब्दीली नहीं हुई l कमोबेस हर जिले में यही स्थित मिलेगी ल

 

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