सड़कों के विकास से बढ़ते सड़क हादसे: विक्रम दयाल

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लेख : एक समय वह था जब एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अच्छे रास्ते और पगडंडिया नही हुआ करती थी. उस समय के लोग बिना रास्ते के ही एक गांव से दूसरे गांव तक पैदल ही आना जाना तयं किया करते थे. सायकल की सवारियाँ भी नही हुआ करती थी. इक्का घोड़ागाड़ी और रिक्सा का समय धीरे धीरे आने जाने के लिए लोग अपनाने लगे. गांव के लोग बैलगाड़ी अथवा घोड़ेगाड़ी की सवारी से ही कहीं पर आते जाते थे. बरसात के दिनों में तो गांव के अंदर और भी आने जाने में कठिनाइयाँ उठानी पड़ती थी. सड़के जो भी थी वह कच्ची और उबड़ खाबड़ के रुप में थी. वह भी बड़े बड़े खड्डों के साथ जिसपर उस समय सम्हल कर चलना पडंता था. बाद में सड़कों पर कंकड़ डाल कर दुरुस्त की हुई सड़के बनने लगी. केवल शहरों के अंदर कोलतार पड़ी सड़के देखने को मिलती थी.

 

समय बदलते गया नेताओं की नजरें गांव की बदहाली पर गई तब रास्ते चकरोड और गांव से गांव जुड़ते हुए सड़क से मिलने लगे. अब गांव और शहर अच्छी बनी सड़कों से जुड़ गये हैं. नदियों पर बड़े बड़े पुल और इकट्ठा होते हुए पानी जहाँ भी आने जाने में तकलीफ पहुँचाते नजर आये वहाँ पर पुल बनाकर लोगों की तकलीफें दूर की जानी लगी.

अब गांव के लोग बड़ी आसानी से शहर और बाजार करते नजर आते हैं. गांव के विकास के साथ सड़कों का विकास हुआ है. जिनके पास सायकल नही हुआ करती थी अब उनके पास मोटर सायकिलें हैं कार हैं जीप हैं ट्रक हैं ट्रैक्टर हैं अब गांव के लोगों के पास आने जाने के साधन के साथ सबकुछ है. पक्की सड़कों पर तेज रफ्तार से भागती हुई गाड़ियाँ शहर से गांव और गांव से शहर नित्य दौड़ती रहती हैं. जैसे जैसे सड़कों का विकास हुआ है वैसे वैसे ही सड़कों पर नित्य बढ़ते हुए हादसे आज एक चिंता का विषय बन गया है. कहीं कार से कार टकराती है. कहीं ट्रक से ट्रक टकराते हैं. कहीं बस से बस और ट्रक के टक्कर होते हैं.

कहीं स्कूल की बस खड्ड में गिरती है. कहीं कार और बड़ी बड़ी गाड़ियाँ नदी में या बने हुए पुलों को तोड़कर गहरे पानी में डूबती हुई सुनने को मिलती है. कोई भी दिन बिना हादसे का नही होता है. हरदिन सड़कों पर दुर्घटनायें अब होने लगी हैं. क्यों कि सड़कों का अच्छा विकास हो जाने की वजह से? अब सड़कों पर सवारियाँ या दूसरे वाहन बेखौफ होकर चलना पसंद करने लगे.

सड़कों के विकास के साथ ही सड़कों पर वाहन भी बढ़े हैं दो पहिया, चार पहिया, या उससे अधिक पहिए वाले वाहनों की संख्याँ लाखों में बढ़ी है. बढ़ते वाहनों के साथ सडंकों पर जाम भी सवेरे और शाम के वक्त तीन तीन, चार चार, घंटों तक होने लगा है. जाम से निकल भागने की होड़ में हादसे पर हादसे भी बढ़ते जारहे हैं. वाहन चालक ट्राफिक नियमों की परवाह किये बिना रोज सड़क पर तेज रफ्तार से गाड़ियाँ लिये भागते हैं. जिसके फलस्वरुप सड़कों पर हादसे ज्यादा होने लगे हैं. अब सड़क पर पैदल चलने वालों की जान खतरे में रहती है.

कोई सुकून से अब सड़क पर पैदल नही चल सकता है. सड़क पर पैदल चलने वालों को हरपल डर लगा रहता है. अब सड़के जानलेवा साबित होने लगी हैं. अब सड़कों पर जीवन सुरक्षित नही है. रातदिन सड़क पर वाहन तेज रफ्तार से दौड़ते नजर आते हैं. बिना सिगनल की जगह से सड़क को पार करना बेहद कठिन होगया है. सड़कों पर अब पैदल यात्रा नही किया जा सकता हैं. सड़कें केवल वाहनों के लिए ही हैं. इंसानों के लिए नही हैं.

 

 

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