विकासशील देश के साथ, बालक-बुद्धि का भी विकास

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विक्रम दयाल
इंसान पैदा होते ही बड़ा नही बनता है. किसी का चहेता, किसी के दिल में बसने वाले इंसान को काफी सामाजिक कार्य करने पड़ते हैं. जनता के दिलों में उतरने के लिए इंसान को गालियाँ, बदनामी का भी सामना करना पड़ता है. कभी कभी लोग उसे काफी नफरत की दृष्टि से भी देखते हैं. घृणा, और द्वेश, के चपेट में पड़ कर उसे बहुत बदनामियाँ भी सहनी पड़ती हैं. सही मायने में देखा जाये तो नेता लोग जनता के मुख्य मुद्दों पर बात नही करते है. जैसे मंहगाई, रोजगार को छोड़ कर मंदिर मस्जिद की बातें करते हैं. हिंदू मुस्लिम की बातें करतें हैं. जनता की मौजूदा कठिनाइयों को छोड़ कर गड़े हुए मुर्दों को उखाड़ कर उसपर बातें करतें हैं. जनता का ध्यान बेकार की बातों में उलझा कर रखते हैं.

ऐसा इसलिए कि जनता असली मुद्दों को भूलकर भटक जाये. सामाजिक क्षेत्र में उभरती हुई आत्मा को सामाजिक प्रतिद्वंदी उस व्यक्ति को जनता के बीच में जाने से रोकने के लिए झूठे झूठे इल्जामात लगाकर उसके उपर अनेको प्रकार के जुल्म ढ़हाते रहते हैं. जनता के बीच उस आदमी की सुंदर छवि को धोमिल करने की भरपूर कोशिष करते रहते हैं. वह इसलिए कि वह जनता के बीच में उनसे अधिक दूसरा कोई भी लोकप्रिय न हो सके. सच्चे जनता के सेवक को इसतरह अनेको प्रकार की कठिनाइयाँ उसके रास्ते में आती रहती है.

वह समझदार जनता का सेवक तब बार बार ऐसी आती कठिनाइयों को सहने का आदी बन जाता है. वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए तहेदिल से कार्य करने को ठान लेता है. उसके लिए सफलता की सीढ़ियाँ आगे बढ़ने के लिए खुद-ब-खुद तैयार होने लगती हैं उसके प्रतिद्वंदी तब हतास होकर हाथ बांधे उसे आगे बढ़ते हुए देखते रहते है. तब अखबार और दूरदर्शन भी उसकी बढती हुई छवि, और लोकप्रियता के प्रशंसक बन जाते है. नही तो मीडिया भी उसे बुद्धिहीन, बालक बुद्धि, पप्पू(मूर्ख) जैसे तीक्ष्ण शब्दों से उभरते हुए सामाजिक प्राणी की निंदा करने में कोई कसर नही छोड़ती है. मगर वह बालक अपने पथ पर निर्भीक निडर होकर सीना ताने सामाजिक उत्थान के लिए आगे बढ़ता ही रहता है. राजनीति घराने में पैदा हुआ बालक बिना किसी की परवाह किये आज निरंतर अग्रसर है. वर्षों से अपमान भरे शब्दों को सहते हुए निष्ठा पूर्वक सामाजिक कार्य करते हुए बढ़ता ही जारहा है. प्रतिद्वंदी आज भी उसे उसी निगाह से देखते हुए फूला नही समाते हैं.

वह एक अकेला मस्त होकर सामाजिक गरिमा को बचाते हुए उत्कृष्टता की तरफ बढ़ते जारहा है. मुझे लग रहा है, वह एकदिन अवश्य अपना सर्वोच्त स्थान प्राप्त कर लेगा. तब निंदनीय शब्दों की सत्यता उजागर होगी और निंदा करने वाले सब कहेंगे कि पप्पू पास होगया. हमेशा फेल होता हुआ इंसान यदि परिश्रम करे तो एकदिन वह अवश्य पास हो ही जाता है. बालक बुद्धि राहुल गांधी का भी पास होने का दिन अब विल्कुल नजदीक आरहा है, और वह अपना लक्ष्य अवश्य प्राप्त कर लेगा. इंतजार करिए आगे आने वाला कल सत्य का बोध जरूर करायेगा.

 

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