ममता सरकार ने पेश किया एंटी रेप बिल, दुष्कर्म के दोषी को 10 दिन में फांसी

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को अपराजिता विधेयक पेश किया। इस नए एंटी-रेप बिल में बलात्कार के दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा का प्रावधान है। बता दें कोलकाता में महिला डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले पर ममता बनर्जी सरकार बैकफुट पर है।

इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 नाम दिया है। बिल में दोषी को 10 दिन में मौत की सजा देने और मामले की जांच 36 दिन में पूरी करने का प्रावधान है। बिल पारित करने के लिए 2 सितंबर से दो दिन विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया है।

माना जा रहा है कि विधानसभा में ये बिल आज ही पास हो जाएगा। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने रविवार को कहा कि हमने फैसला किया है कि ममता बनर्जी के इस विधेयक का समर्थन करेंगे। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के बाद से ही डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस घटना के बाद ही ममता सरकार एंटी रेप बिल ला रही है।

अपराजिता एंटी रेप बिल के 5 प्रावधान

1- अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 का मकदस महिलाओं कौर बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करना है।
2-रेप केस की जांच को 21 दिनों में पूरी करनी होगी। इसे 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
3- अगर रेप पीड़िता की मौत होती है या कोमा में जाती है तो दोषी को फांसी की सजा होगी।
4- हर जिले में अपराजिता टॉस्क फोर्स बनाई जाएगी। इसका नेतृत्व डीएसपी लेवल के अधिकारी करेंगे।
5-रेप -गैंगरेप के दोषियों पैरेल के बिना उम्र कैद की सजा दी जाएगी।

बिल पर विधानसभा में 2 घंटे होगी बहस

विधेयक पर लगभग दो घंटे तक चर्चा होने की उम्मीद है। जिसमें भाजपा विधायक सिखा चटर्जी और अग्निमित्रा पॉल विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के साथ बोलने वाले हैं। संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार की ओर से वक्ता होंगे।

बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी से आरजी की पीड़ित के शोक संदेश पारित करने की मांग की। जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया। इस पर नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी की अध्यक्ष से तीखी नोकझोंक हुई। सुवेंदु ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की स्मृति में संदर्भ पारित हो सकता है तो आरजी कर में घटी जघन्य घटना पर क्यों नहीं। इस पर बिमान बनर्जी ने सुवेंदु से पूछा- मृतक का नाम लिए बिना आप शोक संदेश कैसे पारित कर सकते हैं। क्या आप पीड़ित का नाम बता सकते हैं। रेप पीड़ित की पहचान उजागर करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।

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