मोहम्मद आसिफ
*मामले की जांच शुरू, एसडीएम बोले तहसील में नहीं है कोई प्राइवेट कर्मचारी जबकि असलियत से विपरीत है साहब का बयान*
जौनपुर शाहगंज,।गुरुवार को इंटरनेट पर एक पत्र प्रसारित हुआ। जिसमें तहसील के एक प्राइवेट कर्मचारी ने नायब तहसीलदार के द्वारा घूस लिए जाने की शिकायत करते हुए स्वयं को उचित पारिश्रमिक दिलाने की मांग की थी। इस विषय में उपजिलाधिकारी ने कहा कि शिकायती पत्र का मामला संज्ञान में आया है जांच की जा रही है तहसील में कोई कोई प्राइवेट कर्मचारी नहीं है। फिलहाल एसडीएम का ये बयान काफी सोचनीय और जांच के काबिल है।
इंटरनेट पर गुरुवार की शाम को एक पत्र वायरल होने लगा। वायरल पत्र में तहसील के एक नायाब तहसीलदार के कार्यालय में खुद को प्राइवेट चपरासी बताने वाले ने शिकायती पत्र जिलाधिकारी को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजा था। उक्त पत्र पर जिलाधिकारी कार्यालय से जांच का आदेश दिया गया। पत्र में उप जिलाधिकारी ने मामले को लेकर रिपोर्ट देने की बात नायब तहसीलदार को लिखी थी।
उक्त पत्र में शिकायत करते हुए खुद को प्राइवेट चपरासी बताने वाले व्यक्ति ने कहा है कि नायब तहसीलदार के कार्यालय में मैं प्राइवेट कर्मचारी के रूप में काम करता हूं और सारे घूस व पैसा मेरे द्वारा ही वसूला जाता है। लेकिन मेरे साथ दो और अन्य प्राइवेट कर्मचारी भी काम करते हैं। लेकिन, हम लोगों को एक हजार रुपए के बजाय पांच सौ दिया जाता है जो कि गलत है। जिलाधिकारी से पत्र भेजने वाले ने अनुरोध किया था कि उसे एक हजार रुपए प्रतिदिन दिलवाया जाए।
यदि जांच में उक्त पत्र सही पाया जाता है तो प्रदेश की योगी सरकार पर नौकरशाही का भयंकर कलंक माना जाता है। सरकार ने सरकारी कार्यालयों में प्राइवेट कर्मचारियों को हटाने का निर्देश काफी पहले दिया था, बावजूद इसके नायब तहसीलदार कार्यालय के प्राइवेट कर्मचारी का दुखड़ा कौन सुने, विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि उक्त कर्मचारी को आज यानी गुरुवार दोपहर डांट फटकार और साहबान वाले रवैया को अख्तियार करते हुए सादे कागजात पर हस्ताक्षर लेकर भगा दिया गया है। देखना ये है कि नौकरशाही के नुमाइंदे जांच में कितनी पारदर्शिता लाते हैं।