स्टेट बैंक से धोखाधड़ी कर कर्ज लेने के मामले में दर्जनों पर एफआईआर

जालसाजों में मची खलबली,क्षेत्र के कई बैंकों में बड़ी संख्या में फर्जी तरीके से लोन दिलाने का हो रहा कारोबार

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कर्नलगंज,गोण्डा। तहसील क्षेत्र के कई बैंकों में बड़ी संख्या में कूटरचित फर्जी दस्तावेज के सहारे क़र्ज़ दिलाने का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है और धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से क़र्ज़ दिलाने का गिरोह सक्रिय है। इसी क्रम में कर्नलगंज नगर में स्थित एक बैंक से धोखाधड़ी के मामले का एसपी विनीत जायसवाल ने संज्ञान लेते हुए कर्नलगंज कोतवाली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया,जिस पर पुलिस ने क्षेत्र के 23 व्यक्तियों के विरुद्ध धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी है।

मामला कर्नलगंज के भारतीय स्टेट बैंक की शाखा से जुड़ा है,जहां शाखा प्रबंधक द्वारा मामला दर्ज कराने के बाद हड़कंप मच गया है। मामले में राजदेव पुत्र शिवदीन निवासी गौरा सिंहनापुर, प्रवेश पुत्र अलखराम भदैंया, योगेश प्रताप सिंह पुत्र श्रीनाथ सिंह प्रतापपुर, सूर्य कुमार व राजेश कुमार सिंह नारायनपुर कला, उदयराज पुत्र भगवती हरिगांव, माधवराज सिंह पुत्र गोली सिंह उर्फ भोला प्रसाद सिंह धर्मपुर, मुन्नालाल पुत्र राम दयाल चंगेरिया, जमुना पुत्र इन्द्रबली माधवपुर, श्रीमती सुमित्रा देवी पत्नी शेषनरायन धमसड़ा, बाबादीन पुत्र आदित्य सिसई जोगा, ध्रुवराज पुत्र राधेकिशन बसेरिया, अमरेश पुत्र ज्वाला प्रसाद अलीपुर गोकुला, इन्द्रसेन पुत्र मंगली प्रसाद माधवपुर, हौंसला प्रसाद पुत्र बिन्देश्वरी उर्दी गोंडा, अकबाल खाँ पुत्र वारिस बसेरिया, शिव बहादुर सिंह पुत्र इन्द्र बहादुर सिंह मुंडेरवा, प्रदीप कुमार पुत्र राजाराम, दिनेश सिंह पुत्र शिवनरेश, सरला सिंह पत्नी सुरेंद्र सिंह लालेमऊ, राम प्रिय पुत्र रामरथ सिंह उड़िला, पटमेश्वरी प्रसाद पुत्र राम खेलावन तिलका, राजेश पुत्र कल्पनाथ, मुन्ना सिंह पुत्र भृगुकेतु नारायनपुर मांझा के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। अब मामला बैंक से पुलिस के पाले में पहुंचने के बाद बैंक से धोखाधड़ी करने वालों में खलबली मच गई है। आपको बता दें कि नगर के कई ऐसे बैंक हैं जहां पर धोखाधड़ी करने वालों की एक बड़ी संख्या बताई जा रही है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है की 23 कर्जदारों पर तो मामला दर्ज कर कार्रवाई हो रही है, पर इन्हें दोबारा लोन देने और बेचने का अधिकार किस तरह से मिल गया,यह सवाल भी आमजन मानस के दिमाग में कौंध रहा है। एसबीआई शाखा प्रबंधक द्वारा दर्ज कराए गए मामले में दो श्रेणी का अपराध एवं धोखाधड़ी का मामला सामने आ रहा है,इसमें कुछ लोगों ने बैंक से कर्ज लेने के बाद दूसरे बैंक से भी कर्ज ले लिया और कुछ ने अपनी जमीनों को बेंच दिया।

बंधक खतौनी पर क़र्ज़ लेने के मामले में तहसील के जिम्मेदार कर्मियों और बैंक कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध, उठ रहे गंभीर सवाल।

अब यहां सवाल यह उठता है कि एक बैंक से लोन लेने के बाद खतौनी बंधक हो गई तो उसे बंधक मुक्त किस प्रकार से कर दिया गया कि दूसरे बैंक ने उन्हें लोन दे दिया। इसमें तहसील के जिम्मेदार कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है, उनकी भी बारीकी से जांच होनी चाहिए। साथ ही साथ दूसरे बैंक से लोन देने वाले बैंक भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते,ऐसे कर्मचारियों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। इस धोखाधड़ी के खेल और इस साठगांठ एवं गठजोड़ में शामिल बैंक के इर्द-गिर्द गणेश परिक्रमा करने वाले महारथियों की भी चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। एसबीआई शाखा प्रबंधक द्वारा कर्ज अदायगी ना करने पर 23 लोगों पर एफआईआर उन लोगों के लिए बड़ी चेतावनी है जिन्होंने बैंक से कर्ज लिया है और अदा नहीं किया है वह भी कार्रवाई की जद में है और उन पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। वहीं आए दिन बैंकों में संदिग्ध व्यक्तियों की पुलिस द्वारा चेकिंग की जाती है पर बैंकों में प्रतिदिन मौजूद अनाधिकृत व्यक्तियों से पूछताछ नहीं की जाती कि आखिर किस कारण से वह प्रतिदिन बैंक आ धमकते हैं और देर शाम तक बन रहते हैं। पुलिस की चेकिंग बैंक के ग्राहकों के प्रति ज्यादा दिखती है पर ऐसे व्यक्तियों से भी अगर पूछताछ की जाए तो बैंक के सीधे साधे ग्राहकों को धोखाधड़ी से निजात मिल सके और सुरक्षा भी मिल सके।
मामले में भारतीय स्टेट बैंक शाखा प्रबंधक ने बताया कि 23 लोगों ने बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में लोन लिया था,जिसमे बगैर कर्ज अदा किए कुछ लोगों ने बंधक जमीन बेंच दिया और कुछ लोगों ने दूसरे बैंक से लोन ले लिया। इन सभी लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं प्रभारी निरीक्षक श्रीधर पाठक का कहना है कि मामले में शाखा प्रबंधक द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है,जांच पड़ताल की जा रही है।

 

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