रेलवे के कर्मचारी ने रेलवे की वेशकिमती जमीन पर किया कब्जा

बेलाल जानी

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जौनपुर। लाइन बाजार थाना क्षेत्र के मानेपुर गांव स्थित रेलवे की कीमती जमीन को रेल कर्मचारी ने ही दीवार उठाकर कब्जा कर लिया। जानकारी होने पर आरपीएफ के जवानों ने जेसीबी मशीन लगाकर दीवारों को ध्वस्त करवा दिया। चर्चा के मुताबिक शहरी क्षेत्र निवासी चतुर्थ श्रेणी रेल कर्मचारी के ऑन ड्यूटी मृत्यु हो जाने के बाद पिता के स्थान पर मृतक आश्रित के रूप में सी, सेक्शन इंजीनियर कैरेज एवं वैगन उत्तर रेलवे विभाग वाराणसी में मिली नौकरी कर रहे कर्मचारी ने रेलवे की ही जमीन पर कब्जा कर लिया जिसकी स्थानीय लोगों में काफी चर्चा हो रही है।

कर्मचारी नौकरी करने के पश्चात जमीन की पलाटिंग कर बेचने और खरीदने वाले स्थानीय रेलवे कर्मचारी के संपर्क में आने के पश्चात जिसके ऊपर पहले से ही भू माफिया का लेबल लगा हुआ है। उसी के शह पर शीघ्र बड़ा आदमी बनने की दिल में लालसा लिए अपनी जमीन से सटी गड्ढे नुमा रेलवे की जमीन को धीरे-धीरे मिट्टी डलवा कर कब्जा कर लिया और (प्लाटिंग) अलग-अलग पाट बनाकर बेचने के लिए दीवार से घेर दिया। हालांकि समय रहते रेलवे विभाग के संबंधित अधिकारी आई ओ डब्लू संजय कुमार को जब जमीन को अवैध रूप से कब्जा करने की जानकारी हुई तो वह तुरंत एक्टिव होते हुए। जंक्शन आरपीएफ पोस्ट प्रभारी अजय कुमार को प्रार्थना पत्र के रूप में जमीन कब्जा होने की जानकारी दिए। प्रभारी ने अपने दायित्व का पालन करते हुए साथी जवानो और जेसीबी मशीन के साथ पहुंच कर कब्जा की गई भूमि पर बनी दीवारों को ध्वस्त करवा दिया। आई ओ डब्लू संजय कुमार ने बताया कि रेलवे भूमि को नक्शे के मुताबिक क्षेत्रीय लेखपाल के बताने के हिसाब से सीमांकन कर पत्थर गड़वा दिया गया है। पूर्वोत्तर रेलवे के आई ओ डब्लू की मौजूदगी में ताकि हर एक जन को यह जानकारी रहे की यह रेलवे की जमीन है। इस दौरान स्थानीय पुलिस चौकी चौकियां धाम के पुलिस जवान कोबरा के रूप में मौजूद रहे। पूछे जाने पर आई ओ डब्लू संजय कुमार ने बताया कि मैं उत्तर रेलवे का हूं जबकि जिस जमीन पर कब्जा किया गया था वह जमीन पूर्वोत्तर रेलवे की है। हालांकि रेलवे की जमीन होने के नाते मेरे द्वारा यह कार्रवाई की गई है। यह भी बताया कि जमीन कब्जा किए जाने की सूचना पर मैं 4 से 5 बार गया था कि जमीन किसने कब्जा किया हुआ है स्थानीय लोगों से भी यह जानने की कोशिश किया लेकिन कोई भी सामने यह कहने के लिए नहीं आया कि मेरी जमीन है और नहीं स्थानीय लोगों ने जमीन कब्जा करने वाले का नाम ही बताया। हालांकि मेरे कार्यालय में दीवार ध्वस्ती करण के 2 दिन बाद एक व्यक्ति जिसका नाम अमित यादव है वह जमीन से संबंधित कागजात दिखाने के लिए कार्यालय पहुंचा था। कब्जा करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध अब तक कार्यवाही न किए जाने के बाबत बताए कि मैं इस प्रकरण में किसी भी तरह की कार्यवाही करने में पूरी तरह अक्षम हूं। यह मामला पूर्वोत्तर रेलवे का है आर पी एफ या पूर्वोत्तर रेलवे के आई ओ डब्लू ही जमीन कब्जा किये गए व्यक्ति के विरुद्ध संबंधित कार्यवाही कर सकते हैं।

अब यहां पर सवाल पैदा होता है कि उत्तर रेलवे एवं पूर्वोत्तर रेलवे के आई ओ डब्लू की मौजूदगी में कब्जा की गई जमीन पर बनी दीवारों का ध्वस्ती करण तो किया गया। लेकिन को संबंधित कार्यवाही नहीं की गई और लगभग सप्ताह भर ध्वस्ती करण का समय गुजर जाने के बाद भी कार्रवाई न किया जाना किस तरह इशारा करता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है।

इस संबंध में ग्रामीणों का का कथन है कि अगर इसी तरह रेलवे के संबंधित अधिकारी अपने दायित्व का पालन करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हर मनबढ़ व्यक्तियों के अलावा मुख्य रूप से वर्तमान समय में जो दौर चल रहा है उसके मद्देनजर भू माफिया बड़ी आसानी और होशियारी के साथ रेलवे की भूमि से सटी कुछ फिट जमीनों को खरीदने के पश्चात रेलवे की कीमती जमीनों को कब्जा कर प्लाटिंग करने के बाद बड़े ही आसान तरीके से जमीनों को अलग-अलग पाट बनाकर कर विभिन्न लोगों को बेंच दिया जाएगा और उन्हें कोई दूर दूर तक रोकने वाला नहीं होगा। यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा कि भू माफियाओं की दिन ब दिन तिजोरियों का दायरा बढ़ेगा और वह मालामाल होते चले जाएंगे। और रेलवे की इस तरह की जमीनों पर कब्जा होने की रफ्तार में और भी तेजी आ जाएगी। अगर समय रहते रेलवे के उच्चाधिकारियों की नजर इस ओर नहीं पड़ी तो वह दिन दूर नहीं जब इस तरह के जिम्मेदार जमीन से संबंधित रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी सांठ गांठ कर स्वयं भू माफियाओं के संपर्क में आकर अपना हिस्सा लेने के बाद आंखों पर नोट की पट्टी बांधकर सब कुछ जानने के बाद भी मौन धारण कर अंजान बने रहेंगे।

सूत्रों की माने तो यह पहला मामला नहीं है अगर इस तरह के प्रकरण की पूर्ण रूप से टीम गठित कर जांच पड़ताल करवाई जाए तो कई इस तरह के मामले प्रकाश में आएंगे और रेलवे के संबंधित कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा की गई काली करतूत भी उजागर होने के साथ ही उनके चेहरे भी प्रकाश में आने से नहीं बच पाएंगे।

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