आजकल देश में बढ़ते अपराध, गैंगरेप, बलात्कर, लूटपाट, सूटर्स जैसे अन्य छोटी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने वाले युवक हैं, या नवयुवक या कम उम्र के बच्चे जो ऐसे कार्य कर रहे हैं. यह एक गंभीर चिंता का विषय है. यह सब घटनायें मीडिया या न्यूज पेपरों के ही द्वारा जनता तक पहुँच रही है. जिन लड़कों की उम्र अभी पढ़ने लिखने की होती है या कुछ अच्छी योग्यतायें लेकर आगे बढ़ने की होती है वह बच्चे बड़े ही सरलता और सफलता से ऐसे घृणित कार्य कर गुजरते हैं. जो अपने आतंक से समाज को आतंकित करके, सामाजिक भाई-चारा, प्यार-मोहब्हत, समरसता, और एकजुटता में मतभेद पैदा करने में अहम् भूमिका निभाने में पारंगत हो रहे हैं. और तो और वे बड़ी ही कुशलता से जनता को आपस में लड़ाने और आतंकित करने में भी सफल हो रहे हैं. वह बच्चे जिन घरों में पैदा हुए होते हैं उनसे उनके माता पिता भी सुखी रहने के बजाय सदा दुखी ही रहते हैं. उनके माता पिता उन बच्चों के पैदा होने पर ढ़ेर सारी खुशियाँ भी मनाई होगी, और बडे बडे सपने भी देखें होंगे, और उन बच्चों के पालन पोषण में कोई कसर भी नही छोड़ी होगी. लेकिन उनके माता पिता को क्या पता था कि उनके बच्चे बड़े होने पर अच्छाई के रास्ते से भटक कर बुराई के रास्ते पर चलने लगेगें. और अपने ही माता पिता और परिवार को घोर संकट में डाल देगें. आजकल बहुत सारे घर, माता पिता, ऐसे बच्चों से दुखी मिल जायेंगे. और
सामाजिक अपमान भी सहते होंगे.
कभी कभी घर के हालात् भी बच्चों को घृणित या गलत काम करने के लिए मजबूर कर देते हैं. जैसे कि खर्च के लिए पैसे नही मिलना, अच्छे कपड़े लत्ते नही मिलना, शान शौकत के लिए अन्य सुविधायें नही मिल पाना बच्चों के बिगड़ने का खाश कारण होजाता है.वैसे तो हर माता पिता अपने बच्चों की अच्छी देखभाल अपनी हैसियत के अनुसार करते ही हैं. मगर कभी कभी बच्चों की बड़ी बड़ी ख्वाहिशें पूरी करने में असमर्थ होजाते हैं आधुनिक युग में फैसन और पैसों का अधिक महत्व है जिसे
पाने के लिए आजकल के खुले दिमाग के बच्चे नये नये रास्ते अपनाने लगे हैं जैसे कि छोटे बडे़ अपराध इत्यादि. सरकार ने परिवार को पालने के लिए अनाज आदि तो दे रही है. लेकिन बच्चों की शान शौकत के लिए कोई अनुदान नही देती है. शिक्षा या ऊँची शिक्षा के लिए या कोई और तकनीकी सीखने के लिए सरकार प्रोत्साहन देती है. मगर सीखने वाला या शिक्षा ग्रहण करने वाला बच्चा तो होना चाहिए?
जो सरकारी अनुदान ग्रहण कर सके. गलत रास्ते पर चल रहे बच्चों को सरकार या सरकारी एजेंसियाँ उचित और सही मार्गदर्शन करने के लिए पहल करती आरही है. इस मामले में पक्ष और विपक्ष के नेताओं के नेतृत्व की भी जरूरत है. जो ऐसे बच्चों को सही दिशा दिखला सकते हैं. अत: समाज के लोग भी ऐसे बच्चों को सही मार्ग पर दिखला सकते हैं. भविष्य मे अपराधिक कार्यों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कार्य किए जारहे हैं मगर वह देश में बढ़ते अपराध के लिए आज नाकाफी हैं.