देश और समाज की रक्षा हेतु दिन-रात अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले पुलिस के वीर जवानों को पुलिस स्मृति दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! 21 अक्टूबर हमारे देश के अंदर पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है साथ ही साथ 21 अक्टूबर को ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। जो हमें वतन परस्ती और देश की रक्षा एवं समाज को भय मुक्त न्याय युक्त वातावरण बनाने की प्रेरणा देता है। यह बात सच है यदि पुलिस को ईमानदारी के साथ काम करने दिया जाए तो समाज के अंदर बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। और न्याय युक्त भय मुक्त समाज की स्थापना संभव है।
पुलिस सबसे पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में कार्य करती है यदि उसे करने दिया जाए। लेकिन यह कड़वी सच्चाई है की सत्ता पक्ष के कार्यकर्ता हो या अधिकारियों का दबाव न सिर्फ पुलिस कर्मियों को मानसिक पीड़ा पहुंचता है।
बल्कि आत्महत्या करने तक मजबूर कर देता है। हमारे प्रदेश और देश के अंदर कितने उच्च अधिकारी एवं पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो सुसाइड कर चुके हैं। या नौकरी छोड़ चुके हैं। यह चिंता का विषय है जिसकी और सत्ता पक्ष और विपक्ष कोई ध्यान नहीं देता। पुलिसकर्मी भी तो इंसान ही होते हैं। इनके भी माता-पिता भाई-बहन रिश्तेदार सब होते हैं। उनकी जिंदगी में भी त्यौहार आते हैं। क्या कभी हमने सोचा इन्हें भी अपने परिवार के साथ खुशियां मनाने का मौका दिया जाए नहीं यह लोग सिर्फ और सिर्फ हमारी सेवा में लगे रहते हैं। यह अलग बात है एक मछली पूरे तलाव को गंदा करती है।
पुलिस विभाग में बहुत से अच्छे और बहुत से बुरे लोग मौजूद हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता पुलिस विभाग के बहुत से लोग वर्दी को दागदार बनाते हैं। तो इसी विभाग के बहुत से लोग वर्दी को चमकाते हैं। कितनी महिला पुलिसकर्मी ऐसी है जो गर्भवती होने के बावजूद अपनी ड्यूटी करती हैं ।और कभी-कभी यह देखने को मिलता है कि उनका गर्भपात हो जाता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के अंदर छुट्टी ना मिलने की वजह से करवा चौथ के ऊपर एक महिला पुलिसकर्मी एवं उसके पति ने आत्महत्या कर ली जो चिंता का विषय है। सरकारों को चाहिए कि हिंदू त्योहारों के ऊपर हिंदू महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मियों को छुट्टी दी जाए ।और मुस्लिम पुलिस कर्मियों से कार्य कराया जाए इसी तरह मुस्लिम त्योहार पर हिंदू भाई बहनों से कार्य कराया जाए। और मुसलमानों को छुट्टी दी जाए। इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए एवं समाजसेवियों का सहयोग लिया जाए।
यदि पुलिसकर्मियों की तनख्वाह कम होगी तो वह भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएंगे। और उनकी तनखाह अच्छी होगी एवं वेतन भक्तों का खास ख्याल रखा जाएगा तो यह भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना में सहायक बन सकते हैं। पुलिस विभाग को भी अपने रवैया के ऊपर गौर करना होगा ।और वह एक रक्षक के रूप में अपने आप को समाज के सामने पेश करें ना कि भक्षक के रूप में मेरा मानना है। पुलिस पब्लिक संवाद के जरिए से हम पुलिस मित्र पैदा कर सकते हैं। और समाज के अंदर की गलत धारणाओं को दूर कर सकते हैं। जैसे पुलिस रस्सी का सांप बना देती है पुलिस किसी की यार नहीं होती इन बातों पर विराम लग सकता है ।यदि पुलिस विभाग सूझबूझ से काम ले। सभ्यता हमारा सबसे बड़ा हथियार है इसका हमें ख्याल रखना चाहिए।
आज भी समाज का बहुत बड़ा हिस्सा पुलिस के ऊपर विश्वास करता है। लेकिन सत्ता पक्ष का दबाव एक तरफा कार्रवाई और दोषियों को खुला छोड़ने निर्दोषों को जेल भेजना हमारे कार्य पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है? अच्छे और सच्चे समाज की स्थापना के लिए पुलिस विभाग को न्याय युक्त भय मुक्त और शांति युक्त समाज की स्थापना करनी होगी।
पुलिस पब्लिक संवाद स्थापित करने होंगे। मैं देश के उन वीर जवानों को जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। और जो भाई-बहन वर्तमान में देश रक्षा एवं समाज सेवा में लगे हुए हैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। साथ ही साथ प्रदेश और देश की सरकारों से यह मांग करता हूं ।की पुलिस विभाग के अंदर वह बदलाव किए जाएं जाए जो हितकारी एवं सार्थक हो। और समय की जरूरत है की बदलाव किया जाए।
जरूरत है कि पुलिस कर्मियों को भी पूरा मान सम्मान दियाजाए। जिससे वह शांति एवं न्याय युक्त समाज की स्थापना कर सकें। और हमारे देश प्रदेश में कानून का राज्य स्थापित हो सके।