व्यथाओं को तुम यूं ही बांधे रखना
अपनी व्यथाओं को तुम यूं ही बांधे रखना,
क्योंकि क्रोध सत्यम है इम्तिहान ले रहा है।
कुछ अनसुनी सी बातें भी वह कह रहा है।
इतना आसान नहीं है लाखों को भूला पाना।
यादों के शूल चुभ रहे उनके आने का वक्त है।
नहीं है मीठी बहुत-सी यादें वह कमबख्त है।
अपनी व्यथाओं को तुम यूं ही बांधे रखना,
क्योंकि क्रोध सत्यम है इम्तिहान ले रहा है।
मेरे आस-पास तो झूठ, फ़रेबी से दरख़्त हैं।
यह सच है कि आदमी, आदमी में फर्क तो है।
क्रोध तो हरदम रक्तरंजित होने को कह रहा है।
वक्त भी अपने बहाव में पानी-सा बह रहा है।
अपनी व्यथाओं को तुम यूं ही बांधे रखना,
क्योंकि क्रोध सत्यम है इम्तिहान ले रहा है।
रुक मत मोना का पाया,भास्कर का साया है।
जब साथ हो नक्षत्र ये धनंजय की भी माया है।
इस ज़माने की ठोकरें प्रेरित करती ही रहेंगी।
अपनी व्यथाओं को तुम यूं ही बांधे रखना,
क्योंकि क्रोध सत्यम है इम्तिहान ले रहा है।
हा, याद रख नर्तक है तू बिन पायल के भी,
इन घुंघरूओं की छन-छन भी खनकती रहेगी।
हम हैं तेरे साथ ये जिंदगी यूँ ही महकती रहेगी।