मुम्बई जो कोई व्यक्ति सामाजिक प्रभाव के द्वारा अन्य लोगों की सहायता लेते हुए सर्वनिष्ट कार्य सिद्ध करता है वह नेता है.
जटिल समस्यायों से भटका कर जो नेतृत्व करे वह नेता है.
जिसमें गुणों और क्षमताओं का एक समूह होता है जो उन्हें
सामान्य उद्देश्य के लिए लोगों को प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन करे वह नेता है. होंठों पर हंसी, आँखों में नमी, और दिल के अंदर जहर रखता हो और कुछ लुच्चे, लफंगे, गुंडे, मौवालियों को पाल रखते हैं, जो चिताओं पर भी रोटियाँ सेंक लेते हैं वह अगुवा,नायक, सरदार नेता है. यह सभी गुण आज के नेताओं में बड़ी आसानी से देखने को मिल जायेंगे. हमारे देश में हजारों पार्टियाँ हैं. हजारों प्रकार के अलग अलग नेता हैं. हर नेता लोगों का अलग अलग ढ़ंग से नेतृत्व करता है. हर नेता को चाहने वाले समाज में सैकडो़ हजारों और लाखों हैं.
सबकी दुकाने लेगों के द्वारा चलाई जाती है. किसी का कम तो किसी का अधिक से अधिक. कोई थोड़ा खुश है तो थोड़ा ज्यादा खुश है. हर नुक्कड़ गली चौराहे पर लोग बै़ठ कर अपने अपने नेता की बड़ाई करते हुए आपको नजर आयेंगे. कही भूल से अगर आप वहाँ बैठ गये और उनकी हां में हां मिलाना शुरू किए तो बखान करने वाले के मुख से गालियां निकलनी शुरू हो जायेगी. बात तू तू मैं मैं पर पहुँच कर मार पीट तक पहुँच जाया करती है. आपस का माहौल खराब हो जाता है. आपसी प्रेम में खटास आजाता है.
वहाँ पर नेता नही होता है. वहाँ पर केवल नेताओं की शान और गरिमा होती है. कोई भी आदमी अपने नेता की तोहीन होते बर्दाश्त नही कर सकता है. नेतृत्व करने वाले नेताओं का प्रभाव लोगों पर दृढ़ विश्वास लिए हृदय में बै़ठ जाता है और वह अपने नेता की बुराई सुनना पसंद नही करता है. चाहे कोई पक्ष का नेता हो या विपक्ष का, समाज में सबका रुतबा रहता है. हर नेता जनता का हीरो है. जैसे परदे पर काम करने वाला कलाकार हीरो कहलाता है, वैसे ही समाज का नेतृत्व करने वाला नेता जनता का हीरो कहलाता है. इसलिए बिन नेता के जनता नही और जनता बिन नेता नही. दोनों को एकदूसरे की जरूरत है.
चुनाव खत्म होते ही जनता के बीच कम और ज्यादा वोट पाने वालों पर बहस होती रहती है. जो बंद होने का नाम नही लेती है. जहाँ दो चार आदमी बैठे या खड़े होकर बातें कर रहें हैं वहाँ पर नेताओं की बातें शुरू हो जाती है. जनता कभी अपना मुख बंद नही करती है, उनकों इन सब बातों में बड़ा आनंद आता है. मुद्दे धरे के धरे रह जाते हैं बेकार की बातों में लोग उलझ जाते हैं. पढ़ाई लिखाई, मंहगाई,
नौकरी पेशे, रोजगार की बातें छोड़ कर लोग नेताओं की बातें करते हुए नजर आयेंगे मगर मुद्दे की बात नही करेंगें. समाज को संगठित करने के लिए नेताओं के नेतृत्व की सदा जरूरत है. समाज में नेताओं का होना बहुत ही जरूरी है. एक नेता ही समाज को संगठित कर सकता है, और समाजिक बुराइयों और कठिनाइयों से समाज को बचा सकता है. सरकार चला सकता है. देश-विदेश से मैत्री पूर्ण संबंध बना सकता है. सीमाओं की रचनात्मक सुरक्षा करवा सकता है. देश को नई दिशा और आगे बढ़ा सकता है. लेकिन जनता के मुख को बंद नही करवा सकता है. चुनाव खत्म हुआ. हारने जीतने वाले पक्ष और विपक्ष के नेतागण अपने अपने काम पर लग गये हैं. मगर जनता के बीच अभी भी बहस जारी है. और निरंतर जारी रहेगी. आपसी विवाद बंद नही होंगे, और विवाद तो होते रहेंगे.