जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के परीक्षा केंद्रों से कुछ स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को डिबार किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। स्ववित्तपोषित महाविद्यालय प्रबंधन महासंघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। महासंघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार तिवारी ने आरोप लगाया कि परीक्षा समिति ने एकतरफा निर्णय लेते हुए साजिशन महाविद्यालयों को परीक्षा केंद्र से डिबार कर दिया। इस प्रक्रिया में न तो महासंघ के किसी पदाधिकारी को सूचित किया गया और न ही संबंधित महाविद्यालय प्रबंधन या प्राचार्य को जानकारी दी गई।
महासंघ का कहना है कि बिना किसी ठोस आधार और पक्ष सुनवाई के, इस तरह के फैसले गलत हैं। उन्होंने परीक्षा नियंत्रक को पत्र सौंपते हुए महाविद्यालयों की दोबारा जांच कर निष्पक्षता से निर्णय लेने की मांग की। महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि इन महाविद्यालयों को फिर से परीक्षा केंद्र के रूप में बहाल नहीं किया गया, तो वे व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी। महासंघ और महाविद्यालयों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की है, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। कॉलेज की जिम्मेदारों ने कहा कि उड़ाका दल को सुविधा शुल्क न देने पर गलत रिपोर्ट विश्वविद्यालय को दिया है जो पूरी तरह साजिश का हिस्सा है।पत्र सौंपने के दौरान डा. सुर्यभान यादव, प्रबंधक महासंघ के महामंत्री सूर्यभान , सुनील सिंह,अरविंद सिंह,रामानंद यादव, बलराज कुमार, एसबी यादव मौजूद रहे।
महाविद्यालयों ने भी परीक्षा नियंत्रक को सौपा पत्र लगाये गंभीर आरोप
जौनपुर । पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा एक पक्षीय कार्रवाई की गई ,जिसमें जौनपुर जिले के एक विशेष जाति के लोगों के कॉलेजों को निशाना बनाया गया ,जबकि गाजीपुर में नकल की बहुत शिकायतें हुई ,वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। उड़ाका दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब कॉलेज में जाते हैं सुविधा शुल्क मांगते हैं ना देने पर फर्जी नकल का रिपोर्ट लगा देते हैं और विश्वविद्यालय के जिम्मेदार उस पर आंख मूंदकर फैसला दे देते हैं। उदाका दल बनाने में आरक्षण के नियमों का भी अनदेखी की गई ,जो एक जाति विशेष के कॉलेज को निशाना बनाते हैं वसूली करते हैं। जिन कॉलेजों में तीन-चार छात्र परीक्षा दे रहे थे इस हालत में उन्हें सामूहिक नकल दिखाना गलत है।
इसी बीच कुछ महाविद्यालयों ने भी विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को पत्र लिखते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि सत्र 2023-24 की सेमेस्टर परीक्षा के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त उड़ाका दल ने उन पर जबरन वसूली का दबाव बनाया। विरोध करने पर उड़ाका दल ने झूठी रिपोर्ट देकर उन्हें परीक्षा केंद्र से डिबार करवा दिया। महाविद्यालयों का कहना है कि उनके केंद्र पर न तो सामूहिक नकल हुई और न ही कोई अनियमितता पाई गई थी।