श्रीमद्भागवतम् को विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में भी लागू किया जाना चाहिए– कमल लोचन प्रभु जी

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जौनपुर। अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) जौनपुर द्वारा सिद्धार्थ उपवन में आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ भव्य संकीर्तन यात्रा के साथ हुआ। नगर की सड़कों पर भक्तों ने हरि नाम संकीर्तन करते हुए उत्साह और भक्ति का प्रदर्शन करते हुए कथा स्थल पहुंचे। यह आयोजन क्षेत्र में आध्यात्मिकता और भक्ति के प्रचार का अनोखा उदाहरण बन रहा है। कथा व्यास कमल लोचन प्रभु जी ने कथा के प्रथम दिवस पर भक्तों को अपने प्रेरणादायक वक्तव्य से मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा, मानव समाज में असमानता ईश्वरविहीन सभ्यता में सिद्धांतों की कमी के कारण है। ईश्वर या सर्वशक्तिमान एक है, जिससे सब कुछ निकलता है, जिसके द्वारा सब कुछ बनाए रखा जाता है और जिसमें सब कुछ विलीन हो जाता है। भौतिक विज्ञान ने सृष्टि के अंतिम स्रोत को खोजने का बहुत अपर्याप्त प्रयास किया है, लेकिन यह एक तथ्य है कि हर चीज का एक अंतिम स्रोत है।

इस अंतिम स्रोत को सुंदर भागवतम , या श्रीमद-भागवतम में तर्कसंगत और आधिकारिक रूप से समझाया गया है ।
आगे कहा श्रीमद्भागवतम् न केवल सभी चीज़ों के परम स्रोत को जानने के लिए बल्कि उनके साथ हमारे संबंध को जानने और इस पूर्ण ज्ञान के आधार पर मानव समाज की पूर्णता के प्रति हमारे कर्तव्य को जानने के लिए भी दिव्य विज्ञान है। यह संस्कृत भाषा में शक्तिशाली पठन सामग्री है, और अब इसे अंग्रेजी में विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया है ताकि केवल सावधानीपूर्वक पढ़ने से ही कोई व्यक्ति ईश्वर को पूरी तरह से जान सके, इतना कि पाठक नास्तिकों के हमले से खुद को बचाने के लिए पर्याप्त रूप से शिक्षित हो जाएगा।

इसके अलावा, पाठक दूसरों को ईश्वर को एक ठोस सिद्धांत के रूप में स्वीकार करने के लिए प्रेरित करने में सक्षम होगा। संयोजक डा. क्षिजित शर्मा ने बताया कि यह कथा सात दिनों तक चलेगी, जिसमें हर दिन भागवत महापुराण के अलग-अलग प्रसंगों पर प्रकाश डाला जाएगा। डा. क्षितिज ने सभी भक्तों से अनुरोध किया है कि वे इस पवित्र कथा में भाग लेकर भगवान की कृपा प्राप्त करें। उन्होंने बताया कि नगर के अलग अलग मुख्य मार्गों पर प्रतिदिन संकीर्तन यात्रा भी निकाली जाएगी। इस्कॉन जौनपुर का यह आयोजन समाज में भक्ति और आध्यात्मिकता के प्रसार का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन रहा है।

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