मौत के जिम्मेदार होंगे प्रतिबंधित मांझा बेचने वाले-अतुल सिंह

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जौनपुर। में बिक रहें प्रतिबंधित चाइनीज मांझा पर पूर्ण रोक लगाने की मांग को लेकर दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी के कुशल नेतृत्व में युवाओं का एक जत्था जिलाधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक जौनपुर से मिलकर चीनी मांझा बेचने वालों के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाते हुए गैर इरादतन हत्या का केस पंजीकृत कर कार्यवाही करने की मांग की। तिवारी का कहना है कि जनपद प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस की लापरवाही व शिथिलता के कारण हमारे जनपद में पूर्ण प्रतिबंध के बाद भी चीनी मांझा और प्रतिबंधित नायलॉन धागा व प्रतिबंधित सिंथेटिक से लेपित धागा तथा गैर बायोडिग्रेडेबल मांझे बेचे जा रहे हैं।

जनपद का ऐसी कोई बाजार नहीं है जहां ये प्रतिबंधित धागा और मांझा धड़ल्ले से ना बिक रहा हों लेकिन प्रशासन मुकदर्शक बना पड़ा है। जिसके कारण आये दिन किसी ना किसी व्यक्ति का मांझे से गला कट जा रहा है। जनपद के प्रत्येक गांव व नगर की सड़कों पर यात्रा करने वाले लोग अत्यंत खौफजदा हैं उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कब उनका प्रतिबंधित धागे से उड़ने वाली पतंग के धागों से गला कट जायेगा इसका कोई भरोसा नहीं है। हमारे जनपद मे पिछले कुछ दिनों में उक्त प्रतिबंधित धागों से गला कटने की कई घटनाएं हुई हैं। यदि इन प्रतिबंधित धागे से गला कटने के कारण किसी की मृत्यु होती है तो उस मौत के जिम्मेदार प्रतिबंधित मांझा बेचने वाले ही होंगे।
इस मौके पर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अतुल सिंह ने बिन्दुवार व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे जनपद में प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली द्वारा मूल आवेदन संख्या 384 वर्ष 2016 में पारित दिनांक 11 जुलाई, 2017 के निर्णय को अक्षरशः लागू करने में पूर्ण विफलता रही है। चीनी मांझा/नायलॉन मांझा के कारण मनुष्यों के अलावा पक्षी, बंदर भी बार-बार घायल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली ने एप्लिकेशन संख्या 384 वर्ष 2016 (खालिद अशरफ एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य) में दिनांक 11 जुलाई, 2017 के निर्णय द्वारा नायलॉन या किसी भी सिंथेटिक सामग्री से बने माझे पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने के लिए छह बिंदु निर्देश जारी किए हैं।

1.पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और/या सिंथेटिक पदार्थ से लेपित तथा गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
2.राज्य सरकारों को पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिंथेटिक मांझे/नायलॉन धागे और अन्य सभी समान सिंथेटिक धागों के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाता है।
3.राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों/प्रशासकों को अपने राज्य/क्षेत्रों में पतंग उड़ाने के लिए सिंथेटिक मांझे/नायलॉन धागे के निर्माण और उपयोग पर प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया जाता है।
4.प्रतिवादियों को देश के किसी भी हिस्से में सिंथेटिक मांझे/नायलॉन धागे या सिंथेटिक पदार्थों से लेपित अन्य समान धागे के आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया जाता है।
5.सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/प्रशासकों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वे इस आदेश की एक प्रति सभी जिला कलेक्टरों/जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधीक्षकों को भेजें ताकि इसका अक्षरशः अनुपालन हो और यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके क्षेत्र में कोई सिंथेटिक मांझा/नायलॉन धागा और सिंथेटिक सामग्री से लेपित मांझा न खरीदा जाए, न बेचा जाए, न संग्रहीत किया जाए और न ही पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाए।
6.राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों/मुख्य सचिवों/जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया जाता है कि इस निर्णय में दिए गए किसी भी निर्देश का उल्लंघन होने की स्थिति में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय दंड संहिता या कानून के किसी अन्य प्रावधान के तहत दोषियों के खिलाफ उचित कदम उठाए जाएं।

ज्ञापन देने के दौरान विराज ठाकुर ने कहा कि उक्त आदेश के अनुपालन में अपने गांव व शहर में पंतग उड़ानें के लिए प्रयोग में लायें जा रहे प्रतिबंधित धागे के भंडारण,विक्रय व प्रयोग पर अविलंब पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने की मांग जिला प्रशासन से करते हैं। ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से विकास तिवारी, अतुल सिंह, विराज ठाकुर, राजकुमार प्रजापति, शैलेश कुमार, सर्वेश, निर्भय, अश्वनी सिंह मार्शल, धीरज सिंह धीरू, सोनू रजक, आदि उपस्थित रहे।

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