हिजाब उतारने को कहा तो छात्राओं ने किया विरोध

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जौनपुर। एक जमाने से लेकर अब तक देश की महिलाओं की पहचान भारतीय नारी के रूप में है। यह चर्चा अक्सर हर जगह सुनने को मिलती है कि मर्यादा में रहकर साड़ी में रहने वाली भारतीय नारी की पहचान होती है। इस कथन को मर्यादित व्यक्ति के मुंह से सुनने को मिलता है। महिलाओं के ढंग वस्त्र धारण कर लेने से उनकी आजादी छीन जाएगी जैसा कोई मतलब नहीं होता है और यह कथन कहने वाले लोगों की सोच और नियत ही कुछ एैसी होती है कि उन्हें महिलाएं हिजाब व पल्लू में अच्छी नजर नहीं आती हैं। अब बात करेंगे कुछ यूजर्स की जिन्हें खुद की बेटियां साड़ी में मर्यादा में रहकर भारतीय नारी नजर आती हैं तो दूसरों की बेटियां अर्धनग्न सही नजर आती हैं। असल पाबंदी तो एक सत्ता में बेटियों की पढाई एवं समाजिक आजादी पर हुआ करती थी जिसके बारे में आपको गुगल से जानकारी मिल जाएगी। उस सत्ता का नाम पितृसत्ता था जिससे लड़कर संविधान निर्माता डॉ भीम रॉव अंबेडकर ने समाज के हर वर्ग के लोगों को अधिकार दिलाया। इस लिए कहा जाता है कि ढंग के कपड़े पहन लेने से पाबंदी नहीं नहीं लग जाती है। यदि महिलाओं की इच्छा है तो उसे पाबंदी नहीं कहा जा सकता और अगर वह काम करने की इच्छा नहीं है और जबरन वहीं करवाओं तो इसे पाबंदी कहते हैं। मामला खुदौली स्थित सर्वोदय इण्टर कालेज परीक्षा केन्द्र है जहां सोमवार को प्रथम पाली में हाईस्कूल की परीक्षा पूर्व निर्धारित थी पहले दिन हिन्दी की परीक्षा थी परीक्षार्थी अपने निर्धारित समय से सेन्टर पर पहुंचे चेकिंग के बाद छात्रों को अन्दर प्रवेश होने लगा। आरोप है कि स्कूल प्रशासन द्वारा छात्राओं का हिजाब उतारने को कहा गया जिस पर छात्राओं ने विरोध किया तो उनको परीक्षा में सम्मलित होने से रोक दिया गया। छात्राओं ने मामले की सूचना अपने अभिभावक को दिया और घर वापस लौट गई। उक्त परीक्षा केंद्र पर खेतासराय स्थित मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल के छात्र छात्राएं परीक्षा दे रहें हैं। अभिभावकों का आरोप है कि पहचान के लिए चेहरा खुला होने पर भी हिजाब हटाने के लिए दबाव बनाया जार हा था हिजाब न निकालने पर परीक्षा में बैठेने नही दिया गया जिसके कारण उन्हें परीक्षा छोड़ना पड़ गया। जबकि छात्राओं ने खुद अपनी मर्जी से मर्यादा में रहकर हिजाब नहीं छोड़ना चाहा। एक तरह कुछ उपद्रवी तत्व सोशल मीडिया पर दो तरफा बात करते हैं कि साड़ी भारतीय महिला की पहचान है दूसरी तरफ ढंग के वस्त्र धारण कर लेने पर पाबंदी लगाई जाती है जैसे शब्दों का प्रयोग करना शुरू कर देते हैं। बात करें आज के दौर की तो देश से लेकर विदेशों में भारतीय महिलाएं हिजाब व साड़ी में रहकर अधिकारी, डॉ, इंजीनियर व अन्य अच्छे पोस्ट पर तैनात होकर समाज की सेवा कर रहीं हैं।

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