मंत्री के घर के पास शंखनाद कर रहे ब्राहमण को पीआरओ ने पीटकर भगाया

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साल 2019 में बस्ती जिले में एक छात्र नेता की हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में कबीर तिवारी नाम के युवा नेता की दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या की गई थी। अब लगभग 5 साल बीत चुके हैं लेकिन परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है। कबीर तिवारी की हत्या के बाद पुलिस प्रशासन के साथ ही भाजपा सरकार के मंत्री, नेताओं ने न्याय दिलाने का वादा किया था लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी परिवार न्याय के लिए भटक रहा है। इसी बीच कबीर तिवारी के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए भाई तुलसी तिवारी ने जब बस्ती से दिल्ली तक की यात्रा शुरू की तो उनके साथ बदसलूकी की खबर सामने आ रही है।

तुलसी तिवारी का कहना है कि 15 अगस्त को उन्होंने न्याय यात्रा शुरू की थी और शाहजहांपुर जाकर मंत्री जितिन प्रसाद से मिलना था। तुलसी का कहना है कि उन्हें जितिन प्रसाद के पीआरओ ने उन्हें पीटा। इतना ही नहीं, पुलिस बुलाकर उनसे भी पिटाई करवाई। इसके बाद जबरन गाड़ी में बैठाकर शहर से बाहर भेज दिया। इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है।

वीडियो में दिखाई दे रहा है कि तुलसी तिवारी शंख लेकर बैठे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। इसी बीच वहां पुलिसवाले पहुंचे और उन्हें जबरन उठाकर गाड़ी में बैठा दिया। इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए तुलसी भावुक हो गए और रोने लगे। उनका कहना था कि मैं एक ब्राह्मण नेता के पास न्याय की मांग लेकर पहुंचा था लेकिन ब्राह्मण के दरवाजे पर लात घूसे से एक ब्राह्मण का अपमान किया गया है।

एक जनेऊधारी ब्राह्मण न्याय की गुहार लिए मंत्री जितिन प्रसाद जी के घर पहुंचा, गुहार लगाई, बदले में मंत्री जी तो नहीं मिले बल्कि जबरन पुलिस से बाहर फेंकवा दिया सो अलग जबकि मंत्री  भी खुद ब्राह्मण नेता हैं। तुलसी ने बताया कि मैं पैदल चलने में असमर्थ हूं, इसलिए गाड़ी से दिल्ली जा रहा हूं। वहां मैं अपनी बात रखूंगा, लेकिन मुझे इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। मैं अपनी पीड़ा लेकर न्याय के लिए निकला था लेकिन उसे भी नहीं सुना जा रहा है।

साल 2019 में बस्ती में कबीर तिवारी की हत्या के बाद भाजपा नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे थे। जमकर उत्पात मचाया गया था, न्याय दिलाने का आश्वासन दिया गया था। उस समय पकड़े गए आरोपी छूट गए, अब परिवार न्याय की मांग कर रहा है। तुलसी तिवारी का कहना है कि भाई की हत्या के बाद जितिन प्रसाद घर गए थे और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया था। इसी के बाद मैं उनसे मिलने पहुंचा था।

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