हट जाओ पहले नाना के रौज़े पर जाएंगे। की सदाओं के साथ संपन्न हुआ ऐतिहासिक जुलूस-ए अमारी बड़ागांव*

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मोहम्मद आसिफ 

*देश की मशहूर वो मारूफ अंजुमनों ने नौहा मातम कर आले रसूल को पेश किया पुरसा*

शाहगंज, जौनपुर।
स्थानीय कोतवाली क्षेत्र के बड़ागांव में बृहस्पतिवार को विश्व की सर्वप्रथम ऐतिहासिक जुलूस-ए-अमारी का आयोजन किया गया।
जुलूस का नेतृत्व हुसैनी मिशन के अध्यक्ष सैयद जीशान हैदर ने किया।
ऐतिहासिक जुलूस में देश भर से आई अंजुमनों ने अलग अलग अंदाज में नौहा व मातम पेश किया।
बड़ागांव का ऐतिहासिक जुलूस बृहस्पतिवार को प्रातः चार बजे अलम, जुलजनाह,अमारियों के साथ निकाला गया ।
जुलूस का शुभारंभ सैयद जीशान हैदर की तकरीर से हुआ ।
स्थानीय अंजुमन गुंचये नासिरुल अज़ा ने सभी आने वाले अतिथियों और अंजुमनों की आवभगत में अहम योगदान दिया।
बड़ागांव की अंजुमन तमन्ना-ए-जहरा द्वारा जुलूस में आए हुए श्रद्धालुओं के लिए चाय और शरबत की सबीलों का पूरा इन्तेजाम किया गया। बुधवार की रात्रि से ही सामाजिक संस्था यूथ क्लब बड़ागांव के संस्थापक अध्यक्ष रईस अहमद ने संस्था के सभी सदस्यों के साथ जुलूस में आए हुए श्रद्धालुओं को मिनरल वॉटर कोल्ड ड्रिंक व शरबत की व्यवस्था किया। वहीं दूसरी तरफ इफ्सा-ए गम कमेटी के सभी सदस्यों ने चाय नाश्ते का इंतेजाम किया।
कार्यक्रम का संचालन सैयद परवेज मेहंदी और असगर मेहंदी गुड्डू द्वारा संयुक्त रूप से किया गया ।
*देश व विदेश से पहुंचे मुस्लिम समुदाय के लोग*
नमाजे सुबह के बाद पंजा-ए-शरीफ से बरामद हो कर अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ मगरिब के वक्त चहार रौजा पर पहुंच कर खत्म हुआ।
जुलूस में देश और विदेश से पहुंचे मुस्लिम समुदाय के लोगों के अलावा हिंदुओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखा
जुलूस के दौरान शाहगंज क्षेत्रधिकारी अजीत सिंह चौहान, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रोहित कुमार मिश्रा,खेतासराय थाना प्रभारी निरीक्षक दीपेंद्र सिंह, खुटहन थाना प्रभारी निरीक्षक दीप प्रकाश सिंह, क्राइम ब्रांच प्रभारी संतोष सिंह,उपनिरीक्षक आनंद प्रजापति, दद्दन सिंह, हसन रिजवी, समेत दर्जनों महिला आरक्षी व सैकड़ो प्रशासनिक जवान मुस्तैदी से तैनात रहे।
*1904 में शुरू हुआ था जुलूस का आयोजन*
इस ऐतिहासिक जुलूस जुलूसे अमारी बड़ागांव की शुरुआत 23 मई 1904 को मीर औलाद हुसैन ने की थी । बताया जाता है कि देश में सबसे पहले जुलूस-ए-अमारी का आयोजन यहीं हुआ था ।
कर्बला की जंग के बाद यजीद के रिहाई देने पर जनाब-ए-जैनब का लुटा काफिला कूफा से मदीना पहुंचने की याद में इस जुलूस का आगाज होता है ।
जुलूस में शामिल सादात-ए अंजुमन पठनारी सासाराम बिहार, अंजुमन हैदरी सरय्यां बिहार,अंजुमन शमशीर-ए-हैदरी व अंजुमन जुल्फिकारिया जौनपुर, अंजुमन परवाने शब्बीर आजमगढ़, अंजुमन पंजतनी वाराणसी समेत तीन दर्जन से अधिक अंजुमनों ने जुलूस में हिस्सा लेकर नजरान-ए-अकीदत पेश किया।
जुलूस में मौलाना वसी हसन फैजाबादी, मौलाना हसन मेंहदी गाजीपुरी, मौलाना मिर्जा ज़ाफर लखनऊ, मौलाना शौकत रिज़वी, मौलाना एजाज़ मोहसिन,मौलाना सैयद अबूजर, ने अपनी तकरीर में कर्बला की जंग और यजीद की नापाक हरकतों का ज़िक्र किया । मौलानाओं ने फरमाया कि यज़ीद इस्लाम और मानवता को शर्मसार कर देना चाहता था, लेकिन इमाम हुसैन ने अहिंसा को अपनाकर अपना बलिदान दिया और मानवता को हमेशा के लिए शर्मसार होने से बचा लिया।
ऐतिहासिक जुलूस से अमारी को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में समस्त ग्राम वासियों ने अपना अहम योगदान दिया। जुलूस के समापन के उपरांत हुसैनी मिशन के जनरल सेक्रेटरी जुलूस में शामिल होने वाले सभी श्रद्धालुओं का व सुरक्षा को लेकर चाक चौबंद रहे पुलिस प्रशासन का आभार व्यक्त किया।

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