14 सितंबर हिन्दी दिवस पर विशेष लेख

डॉक्टर इफ्तेखार अहमद सदस्य सचिव मानवाधिकार जन निगरानी समिति उत्तर प्रदेश

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भाषा एक माध्यम है जिससे हम अपनी बात दूसरों तक पहुँचातें हैं, दूसरा हमें समझ सकता है कि हम क्या चाहते हैं, वरना हम देखते हैं गूंगें इंसान का जीवन बहुत कठिन होता है।

भाषा हमें एक दूसरे से जोड़ती है, लेकिन आज मानव सभ्यता का दुर्भाग्य है कि लोगों को भाषा के आधार पर ही बांट कर घृणा का खेल खेला जाता है।

अभी हमने चंद साल पहले ही गुजरात में उत्तर भारतियों को पिटते देखा, इस घटना पर अगर विचार किया जाए तो क्या अपने ही देश में एक हिन्दी भाषी को सम्मान प्राप्त है ???

भाषा जीभ के माध्यम से आवाज बनकर दूसरों तक पहुँचती है, जीभ का एक नाम हिन्दी में भाषा भी है तो उर्दू में ज़बान भी, ज़बान यानि जीभ बोलने के साथ भोजन का स्वाद भी बताती हैं, *विचार करिये अगर पालनहार जीभ ही न देता तो जीवन कितना बेस्वाद और मदमज़ा हो जाता, हम कितने अकेले होते ?*

आपसी घृणा को समाप्त कर ,क्या हमें पालनहार का शुक्र अदा नहीं करना चाहिये कि उसने हमें समाज से जुड़ने के लिए जीभ दी, जो जीवन को स्वादिष्ट भी बनाती है। इसलिए हमारी जीभ से निकले शब्द ऐसे होने चाहिये जो समाज से घृणा को समाप्त कर एकता पैदा करें।

*ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए !*
*औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए!!*

*इस ब्रह्मांड का निर्माता एक है, और इस विशाल ब्रह्मा़ड में इस पूरी पृथ्वी की हैसियत एक कण के बराबर है, विचार करिए कितनी असीमित शक्ति और कुदरत का मालिक है वह ?*
*उसे किसी भी देश या किसी भी भाषा में सीमित करना उसकी असीमित शक्ति को सीमित कर उसे ललकारने जैसा है।*

उसने सबको एक माता पिता से पैदा किया है, और जातियों और समुदायों में बांटा ताकि हम एक दूसरें को सरलता के साथ पहचान सके।

हर भाषा में उसके अच्छे नाम है, भाषा प्रेम, अनुभव, संवेदना, अहसास और जोड़ का प्रतीक है, इसलिए हमें हर किसी के प्रति पवित्र भावनाएँ रखनी चाहिये। ऐसी कोई भाषा नहीं, ऐसा कोई राष्ट्र नहीं जहाँ पालनहार ने अपना मार्गदर्शक, पैगम्बर न भेजा हो।

सबसे पहले इंसान आदम को, जिनका वर्णन दुनियाँ के सभी धर्मग्रंथों में है उन्हे रब ने शिक्षित किया और चीजो़ और वस्तुओं के नाम सिखलायें…
*कोई बता सकता है कौन सी भाषा होगी वह ?*

फिर उन्हे इस हिन्द की धरती पर ही सर्व प्रथम उतारा, यह वह धरती जिसपर पालनहार को किसी इंसान द्वारा पहला सज़्दा यानि साष्टांग प्रणाम किया गया, यह वह धरती है जिसपर सर्व प्रथम ऐकेश्वरवाद का संदेश गूंजा और मानव सभ्यता का उदय हुआ,

इसलिए आवश्यकता है हमें, सोच विचार की, कि हम पालनहार के किये करोड़ो उपकारों का बदल लोगों में प्रेम मुहब्बत के संदेश एवं भलाई और भली बात के माध्यम के साथ धन्यवाद और शुक्र अदा करने वाले बने, ना कि घृणा और नफरत फैलाकर नाशुक्री करने वाले बने।
और गर्व से कहे—- मजहब नही सिखाता आपस मे बेर रखना ,हिन्दी है हम वतन है,हिन्दुस्तान हमारा सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा

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