सात लाख की नौकरी छोड़कर चुना अपना व्यवसाय,

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जौनपुर। अगर जुनून और जज्बा हो तो कोई भी व्यक्ति नदी की विपरित धारा में तैरकर अपना मंजिल पा ही लेता है। ऐसा कर दिखाया है नगर के परमानपुर मोहल्ले के निवासी आशीष उपाध्याय नामक युवक ने। इस शख्स ने एमबीए की पढ़ाई पुणे से किया उसके बाद वही पर एक कम्पनी में 7 लाख प्रति वर्ष की नौकरी किया। 2016 में उसने नौकरी छोड़कर ऐसे व्यवसाय में शीर्ष ऊंचाई को छुआ जिसका उसे ए बी सी डी भी नही पता था। अपनी मेहनत लगन की बदौलत वह जिले में ही नही बल्की आस पास के कई जनपदो में अपने प्रतिष्ठान की अलग पहचान बनायी। आज वह युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गया है। आये दिन कोई न कोई युवा उससे इस रोजगार का गुर सिखने के लिए आता है।

 

हम बात कर रहे है नगर के सिविल लाइन रोड पर स्थित तड़का रेस्टूरेंट के मालिक आशीष उपाध्याय की। आशीष एम-कॉम और एमबीए की पढ़ाई करने के बाद पुणे की एक कम्पनी में सर्विस किया दो वर्ष बाद उसका मन नौकरी से विदग गया। वह अपने घर आकर कोई व्यवसाय करने का मंथन करने लगा। पहले उसने मेडिकल स्टोर खोलने का मन बनाया लेकिन काफी सोच विचार के बाद वह रेस्टूरेंट के धंधे में कदम रखने निर्णय लिया। चूंकि इस व्यवसाय से पूरी तरह से अनभिज्ञ था इसके लिए उसने जिले से लेकर वाराणसी, प्रयागराज समेत अन्य महानगरों के होटलों में जाकर थोड़ा बहुत अनुभव लिया उसके बाद आशीष ने 27 फरवरी 2016 को सिविल लाइन में स्टेट बैंक के पास तड़का रेस्टूरेंट खोला। नफा नुकसान झेलते, लड़खड़ाते हुए अपने व्यवसाया में कदम जमाने का प्रयास करता रहा जब कदम थोड़ जमना शुरू हुआ तो कोरोना महामारी ने उसका कदम रोका लेकिन आशीष इसके बाद भी हार नही माना उसने बैंक से कर्ज लेकर अपने मुकाम को पाने में जुटा रहा। जिसका परिणाम है कि आज उसने जिले की नही बल्की आस पास जनपदो में अपने प्रतिष्ठान तड़का रेस्टूरेंट की अलग पहचान बनाने में कामयाब हो गया है।

आशीष उपाध्याय अपना एक विशाल अनुभव साझा करते हुए बताया कि मेरे लिए यह व्यवसाय बिलकुल नया था जिसके कारण शुरूआती दौर में काफी नुकसान उठाना पड़ा इसके बाद भी मैने साफ, सफाई और क्वालिटी से कोई समझौता नही किया। अपने वर्करो को अपने परिवार की तरफ रखता हूं समय से वेतन दिया जाता है समय-समय आवश्यकता पड़ने पर हर तरह की मदद करता हूं। सभी कर्मचारियों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान भी रखता हूं यही मेरे सफलता मुख्य कारण है।

श्री उपाध्याय ने बताया कि दो वर्ष कोरोना के चलते हमारे व्यवसाय पर बहुत असर हुआ इसके बाद भी मैने अपने घर से कर्मचारियों की सैलरी दिया तथा इस बीच मुझे बैंक से कर्ज भी लेना पड़ा था लेकिन धीरे धीरे अपने धंधे से पैसा कमाकर बैंक का कर्ज भर दिया आज मेरे ऊपर किसी का एक पैसा बकाया नही रह गया है।

आशीष उपाध्याय ने बताया कि मेरे पीछे मेरे पिताजी, बड़े भाई समेत पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा था जिससे मुझे काफी हौसला मिला।

आशीष ने बेरोजगार युवाओं से अपील किया कि आपको को कोई भी काम धंधा करना है तो पहले दो वर्ष तक नौकरी करके अनुभव ले उसके बाद अपना व्यवसाय करे तो सफलता अवश्य मिलेगी।

 

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