भरण पोषण के वसूली के मुकदमे में निकिता के अधिवक्ता ने दिया स्थगन प्रार्थना पत्र

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जौनपुर। अतुल सुसाइड केस में बेटे व्योम को ₹40,000 भरण पोषण देने के आदेश के बाद धनराशि की वसूली के लिए किए गए मुकदमे में निकिता सिंघानिया के अधिवक्ता ने 11:30 बजे परिवार न्यायालय कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया कि निकिता गिरफ्तार होकर जेल में बंद है। इस कारण आज न्यायालय में उपस्थित नहीं आ पाई। आज की कार्यवाही स्थगित कर कोई अन्य तारीख दिया जाना आवश्यक है। कोर्ट ने 4:50 बजे अगली सुनवाई के लिए 29 जनवरी 2025 तिथि नियत किया।

बता दें कि 29 सितंबर 2024 को परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रीता कौशिक ने पत्नी निकिता सिंघानिया व पुत्र व्योम द्वारा पति अतुल के खिलाफ किए गए भरण पोषण के मुकदमे में निकिता के संबंध में प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया तथा अतुल को आदेश दिया कि प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की तिथि 19 जनवरी 2022 से 40,000 रुपए प्रतिमाह पुत्र व्योम के भरण पोषण के लिए उसके व्यस्क होने तक उसकी संरक्षिका माता निकिता को अदा करे।

अतुल को यह भी आदेश दिया गया कि वह प्रत्येक मां की 15 तारीख को धनराशि अदा करे तथा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के दिनांक से निर्णय के दिनांक तक देय धनराशि ₹40,000 प्रतिमाह तब तक अदा करे जब तक कि बकाया भरण पोषण की धनराशि का भुगतान पूर्ण न हो जाए। कोर्ट ने यह भी लिखा कि दावा कर्ता व्योम यदि अन्य किसी आदेश से कोई भरण पोषण प्राप्त कर रहा होगा तो वह धनराशि इस भरण पोषण की धनराशि में समायोजित की जाएगी।

इस आदेश के अनुपालन के लिए व्योम की तरफ से धनराशि की वसूली का मुकदमा दाखिल किया गया है जिसमें सोमवार को सुनवाई थी लेकिन अतुल के सुसाइड करने, उस मामले में निकिता के बेंगलुरु जेल में बंद होने और यहां अदालत में न आने के कारण उनके अधिवक्ता स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया था। जिसमें कोर्ट ने अगली तिथि नियत कर दी। उधर अतुल के अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने पूर्व में ही बताया है कि अतुल की मृत्यु के बाद भरणपोषण वसूली का यह फौजदारी का मुकदमा नहीं चलेगा। फौजदारी के मुकदमे में मुल्जिम की मृत्यु के बाद मुकदमा समाप्त हो जाता है।

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