चीन से उड़ी पतंग दुनिया पर छाई, बहुत ही रोचक है पतंगों का इतिहास

0 158

कहते हैं हर त्योहार की अपनी कुछ खासियत होती है, वही खासियत उस त्योहार को विशेष बना देता है। जैसे होली के लिए रंग, दीपावली के लिए पटाखे, ईद के लिए सेवई तथा क्रिसमस के लिए केक। ठीक उसी प्रकार नये वर्ष में मनाया जाने वाला पहला त्योहार खिचड़ी, जिसको अनेकों नामो से जाना जाता है जैसे उत्तरायण,मकरसंक्रांति, खिचड़ी संक्राति, पोंगल आदि। इस त्योहार की एक विशेष बात होती है कि इस दिन सभी आयु वर्ग के लोग पतंगबाजी का आनंद जरूर लेते हैं। मगर क्या आपको पता है इस हवा में उड़ते बेजा़न कागज के परिंदों का इतिहास? इंसान ने जब परिंदों को आकाश में उड़ते देखा तो उसके मन विचार आया कि क्यों न कागज़ के टुकड़ों को भी आकाश में उड़ाया जाए। बस यही से पतंग की उत्पत्ति शुरू हुई और मनोरंजन, कला और संस्कृति का हिस्सा बन गयी।

पतंग का इतिहास लगभग 2000 साल पुराना बताया जाता है जिसकी शुरुआत चीन के शानडोंग नामक शहर में हुआ था इसे पतंगों का घर भी कहा जाता है‌। 549 ईसवी कागज की पतंगों को उड़ाया जाने लगा उस समय इसका इस्तेमाल संदेश भेजने में किया जाता था। एक मान्यता के अनुसार भारत में पतंग लाने का श्रेय चीनी यात्री हीनयान और व्हेनसांग को जाता है। 1898 से 1933 तक संयुक्त राज्य मौसम ब्यूरो ने मौसम के अध्ययन के लिए पतंग केंद्र बनाए थे जहाँ से मौसम संबंधित अध्ययन किए जाते थे।

यदि इस कागज़ के परिंदों के बाजार की बात की जाए तो यह करोड़ों का कारोबार करता है जिसके लिए गुजरात, और उत्तर प्रदेश के बहुत से जिलें मशहूर हैं। बरेली, अलीगढ़, रायपुर, मुरादाबाद, और लखनऊ में तैयार पतंग, डोरी और मांझे लगभग पूरे भारत में सप्लाई किए जाते हैं। गुजरात में मकरसंक्रांति पर मनाया जाने वाला उत्तरायण पर्व पर पतंग महोत्सव में तो पूरी दुनिया से लोग अपनी पतंग का प्रदर्शन करने आते हैं। पतंग बाजी का जुनून केवल भारत में ही नहीं बल्कि पुरी दुनिया में हैं। इसके लिए एक विशेष दिन का चयन किया जाता है जिस दिन पतंगबाजी की जाती है जैसे आस्ट्रेलिया में फेस्टिवल ऑफ विड्स हर साल सितम्बर महीने में मनाया जाता है। चीन के वेईफांग शहर में अप्रैल महीने में काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है मान्यता यह है कि पतंग को देखने से आखो की रोशनी तेज होती है। इसी तरह जापान में मई माह के पहले सप्ताह में हमामात्सु के शिजुका प्रांत में पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है। इंडोनेशिया के बाली काइट फेस्टिवल में 4-10 मीटर चौड़ी और 100 मीटर लम्बी पूंछ वाली पतंग उडाई जाती है। यदि भारत की बात की जाए तो मकरसंक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने का रिवाज है जिसके लिए अहमदाबाद और जयपुर में सबसे बडे़ काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।

पतंग बाजी में रिकॉर्ड
2005 में कुवैत के काइट फेस्टिवल में अब्दुल रहमान और फारिश ने दुनिया की सबसे बड़ी 25 मीटर लम्बी और 40 मीटर चौड़ी पतंग उड़ाई थी 2006 में एक ही डोर से 43 पतंगों को एक साथ उड़ाने का रिकॉर्ड चीन के मा क्विगहुआसेट के नाम है। उसी तरह पुर्तगाल के फ्रेसिस्को लुफिन्हा के पास 862 किमी लम्बी काइट सफिंग का रिकॉर्ड दर्ज हैं। 2011 में यूनाइटेड नेशनल रिलीफ एंड वर्क एजेंसी ऑर्गनाइजेशन ने फिलीस्तीनी बच्चों के लिए गाजा स्द्रिप के समुद्र तट पर 12350 पतंगे उड़ा कर रिकॉर्ड बनाया। 2014 में आस्ट्रेलिया के राबर्ट मूरे ने 4900 मीटर ऊची पतंग उड़ाने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.