कृष्ण की महिमा: वैदिक इतिहास और आधुनिक सोच का संगम

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जौनपुर। अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) जौनपुर द्वारा सिद्धार्थ उपवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस पर भक्तिमय वातावरण अद्वितीय उत्साह से भर गया। कथा व्यास कमल लोचन प्रभु जी (अध्यक्ष, इस्कॉन मीरा रोड मुंबई एवं वापी गुजरात) ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। इस प्रसंग ने भक्तों के मन को आध्यात्मिक आनंद से परिपूर्ण कर दिया।

कथा व्यास ने कहा कृष्ण कौन हैं?
भगवान कृष्ण एक ऐतिहासिक व्यक्ति हैं जो 5,000 साल पहले भारत में इस धरती पर अवतरित हुए थे। वे 125 साल तक इस धरती पर रहे और बिल्कुल इंसानों की तरह ही क्रीड़ा करते रहे, लेकिन उनकी गतिविधियाँ अद्वितीय थीं। इन पश्चिमी देशों में, जब कोई कृष्ण जैसी किताब का कवर देखता है , तो वह तुरंत पूछता है, “कृष्ण कौन हैं? कृष्ण के साथ लड़की कौन है?” आदि।तत्काल उत्तर यह है कि कृष्ण भगवान हैं। ऐसा कैसे है? क्योंकि वे सर्वोच्च सत्ता, भगवान के वर्णन के बिल्कुल अनुरूप हैं। दूसरे शब्दों में, कृष्ण भगवान हैं क्योंकि वे सर्व-आकर्षक हैं। सर्व-आकर्षण के सिद्धांत के बाहर, भगवान शब्द का कोई अर्थ नहीं है। कोई सर्व-आकर्षक कैसे हो सकता है? सबसे पहले, यदि कोई बहुत धनवान है, यदि उसके पास बहुत अधिक संपत्ति है, तो वह आम लोगों के लिए आकर्षक हो जाता है। इसी तरह, यदि कोई बहुत शक्तिशाली है, तो वह भी आकर्षक हो जाता है, और यदि कोई बहुत प्रसिद्ध है, तो वह भी आकर्षक हो जाता है, और यदि कोई बहुत सुंदर या बुद्धिमान है या सभी प्रकार की संपत्तियों से अनासक्त है, तो वह भी आकर्षक हो जाता है।

इसलिए व्यावहारिक अनुभव से हम देख सकते हैं कि कोई व्यक्ति 1) धन, 2) शक्ति, 3) प्रसिद्धि, 4) सुंदरता, 5) ज्ञान और 6) त्याग के कारण आकर्षक होता है। जो व्यक्ति एक ही समय में इन सभी छह ऐश्वर्यों से युक्त है, तथा जिसके पास ये सभी असीमित मात्रा में हैं, उसे भगवान माना जाता है। भगवान के इन ऐश्वर्यों का वर्णन महान वैदिक विद्वान पराशर मुनि ने किया है।कमल लोचन प्रभु ने कहा हमने अनेक धनवान व्यक्ति, अनेक शक्तिशाली व्यक्ति, अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति, अनेक सुन्दर व्यक्ति, अनेक विद्वान् और विद्वान् व्यक्ति, तथा भौतिक सम्पत्ति से अनासक्त संन्यासी व्यक्ति देखे हैं। किन्तु हमने मानव इतिहास में कृष्ण के समान असीमित और एक साथ धनवान, शक्तिशाली, प्रसिद्ध, सुन्दर, बुद्धिमान और अनासक्त कोई भी व्यक्ति नहीं देखा। भगवान् कृष्ण एक ऐतिहासिक व्यक्ति हैं जो 5,000 वर्ष पूर्व इस पृथ्वी पर अवतरित हुए। वे 125 वर्षों तक इस पृथ्वी पर रहे और बिल्कुल मनुष्य की भाँति क्रीड़ा करते रहे, किन्तु उनके कार्यकलाप अद्वितीय थे। उनके प्रकट होने के क्षण से लेकर उनके लुप्त होने के क्षण तक, उनका प्रत्येक कार्यकलाप विश्व के इतिहास में अद्वितीय है, और इसलिए जो कोई भी जानता है कि भगवान् से हमारा क्या तात्पर्य है, वह कृष्ण को भगवान् के रूप में स्वीकार करेगा। भगवान् के समान कोई नहीं है, और उनसे बड़ा कोई नहीं है। यह प्रसिद्ध कहावत का आशय है, “भगवान् महान हैं।कथा व्यास ने कहा संसार में ऐसे अनेक वर्ग हैं जो भगवान के बारे में भिन्न-भिन्न प्रकार से बोलते हैं, किन्तु वैदिक साहित्य के अनुसार तथा सभी युगों में भगवान के ज्ञान में पारंगत महान आचार्यों , जैसे कि शंकराचार्य , रामानुज, माधव, विष्णुस्वामी, भगवान चैतन्य तथा उनके शिष्य परम्परा के सभी अनुयायी, सभी एकमत से मानते हैं कि कृष्ण ही भगवान हैं।

जहाँ तक हम, वैदिक सभ्यता के अनुयायियों का प्रश्न है, हम सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के वैदिक इतिहास को स्वीकार करते हैं, जिसमें स्वर्गलोक, या उच्च ग्रह प्रणाली, मर्त्यलोक, या मध्यवर्ती ग्रह प्रणाली, तथा पाताललोक, या निम्न ग्रह प्रणाली नामक विभिन्न ग्रह प्रणालियाँ शामिल हैं। इस पृथ्वी के आधुनिक इतिहासकार 5,000 वर्ष पूर्व घटित घटनाओं के ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं दे सकते, तथा मानवशास्त्री कहते हैं कि 40,000 वर्ष पूर्व होमो सेपियंस इस ग्रह पर प्रकट नहीं हुए थे, क्योंकि विकास उस बिंदु तक नहीं पहुँचा था। लेकिन वैदिक इतिहास, पुराण और महाभारत, मानव इतिहास को बताते हैं जो लाखों-करोड़ों वर्ष पहले तक फैला हुआ है।
आज कथा के यजमान अनुभव अंशु मिश्रा रही।
संयोजक डा क्षितिज शर्मा ने सभी भक्तों से अपील की है कि वे कथा के अंतिम दिन भी शामिल होकर भगवान की कृपा प्राप्त करें और भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ें।

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