डा चित्रलेखा सिंह का जौनपुर की राजनीति में शानदार आगाज आदमी पार्टी से रहा
हार कर भी जौनपुर के लोगों के दिलों को जीत गई नगर पालिका परिषद जौमपुर के चेयरमैन पद की प्रत्याशी डा चित्रलेखा सिंह प्रवक्ता टी डी महिला महाविद्यालय ने कहा की किसने मेरा साथ दिया या नही दिया इससे हमे कोई फर्क नही पड़ता, हमारे लिए जौनपुर के सभी लोग मेरे परिवार का हिस्सा - जिस तरह मैं पहले उनके लिए पहले करती थी करती रहूंगी यह मेरे परिवार का सिद्धांत है : डा चित्रलेखा सिंह
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
जौनपुर नगर क्षेत्र के मियापुर निवासी टी डी महिला महाविद्यालय की प्रवक्ता डा चित्रलेखा सिंह पत्नी निखिलेश सिंह अध्यक्ष बिजली विभाग कर्मचारी संघ जिले के जाने-माने समाजसेवी और साम्प्रदायिक सौहार्द की अनुपम मिसाल डा चित्रलेखा सिंह का चुनाव लड़ने की एक अलग शैली ने हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया।
जौनपुर नगर पालिका परिषद के चुनाव में उनके द्वारा किये गये शानदार प्रदर्शन ने जौनपुर के लोगों का दिल जीत लिया। क्यू की यह शानदार व्यक्तित्व व मधुर व्यवहार की धनी महिला है जौनपुर की जनता की समस्याओं को देखते हुए अन्तिम समय में चुनाव लड़ने का फैसला आम आदमी पार्टी से किया और तत्काल 15 अप्रैल को पार्टी ज्वॉइन किया और 17 अप्रैल को नामांकन दाखिल कर दिया कम दिनो में जिस तरह से इन्होंने अपनी चुनावी कैंपेनिंग की शुरुआत की थी उसकी कोई मिशाल नहीं थी लेकीन दो समुदाय के लोगो ने उन्हें पूरी तरह अपने विश्वाश में लेकर अन्तिम समय में गिरगिट की तरह रंग बदल दिया और अंतिम वक्त तक आश्वासन भी देते रहे यही सिस्टम की सबसे बड़ी चूक मानी जा रही है वही दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने अपना मुस्लिम फैक्टर लागू कर दिया जिस वजह से सपा से नाराज़ मौर्य समुदाय के लोगो ने सपा में होते हुए भाजपा की मनोरमा मौर्या को समर्थन कर दिया डा चित्रलेखा सिंह तो चुनाव नही जीत सके, लेकिन वह नगर पालिका परिषद चुनाव में जौनपुर के लोगों की मूलभूत समस्या को मजबूत तरीके से उठाने में सफल रही ।
समाज सेवी और अमन ग्रुप ऑफ इंडिया के निदेशक व अमन की शान राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक सामाचार पत्र के समूह सम्पादक मेहदी हुसैन रिजवी ने कहा कि हार या जीत तो होती ही रहती है मायने यह रखता है कि आपने चुनाव कैसा लड़ा और आपने कितनी कोशिश की।
बताया कि डा चित्रलेखा सिंह का चुनाव लड़ने का तरीका और कोशिश दोनो शानदार रही। मेहदी हुसैन रिजवी ने कहा कि कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए, मंजिल मिले या तजुर्बा दोनों ही चीजें नायाब है।
डा चित्रलेखा सिंह अगर चुनाव लड़ने का पहले से मन बना लेते तो चुनाव परिणाम हमारे पक्ष में होता। डा चित्रलेखा सिंह को सपा पार्टी अन्तिम दौर में सपा पार्टी ने माना करके के उनकी हाना को ललकार दिया था शायद इन्हें वजह से वह चन्द घंटों में अपना फैसला लेकर मैदान में उतर गई एक शेर है जो सभी पर लागू होता है कहा कि शहसवार ही गिरते है मैदान-ए-जंग में, वे तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें।
उन्होंने कहा कि वह हर सुख-दुख में जौनपुर की जनता के साथ है। किसने उनका साथ नही दिया, किसने उनका साथ दिया इससे उनको कोई फर्क नही पड़ता। जौनपुर के लोग उनके परिवार का हिस्सा है। और हमेशा रहेगी वह ऊॅंच-नीच, जात-पात जैसी कुरीतियों से कौसो दूर है।
बताया कि उनको अपने परिवार और अपने धर्म से यह तालीम मिली है कि इंसानियत को प्राथमिकता दे और जरूरतमंदों की सहायता करे। वह इसी दिशा में आगे बढ़ रही है और जब तक सांस रहेगी तब तक बढ़ती रहेगी । और कहा कि वह जौनपुर की जनता के हितों के लिए निस्वार्थ भाव से हमेशा कार्य करती थी और करती रहेगी।