रिपोर्ट
जौनपुर आइए अय्याम-ए-अज़ा के आख़िरी दिन लें अपना-अपना जायज़ा 2 माह 8 दिन लगातार हुसैन-ए-मज़लूम का ग़म मनाने वाले अज़ादारो, आज इस सिलसिले का आख़िरी दिन है।
आइए आज अपना अपना मोहासेबा करें कि हमने मक़सद-ए-कर्बला के तहत अज़ादारी की या रस्मन।अगर हमने मक़सद-ए-शहादते इमामे हुसैन(a.s.)के तहत अज़ादारी की तो वाक़ई अज़ादारी का सही हक़ अदा किया जज़ाकल्लाह-माशाअल्लाह
अब सवाल उठता है कि जिस ज़बान से ज़िक्रे अज़ा किया गया है क्या उस ज़बान से किसी की ग़ीबत मुनासिब होगी
जिस हाथ से मातम किया है क्या उससे किसी पर जुल्म किया जाना मुनासिब होगा
जिस दिल में कर्बला बसी हो क्या उसमें नफ़रत, हसद, बेवफ़ाई, ज़ुल्म-व-सितम, बातिलपरस्ती जैसी लअनतों का गुज़र मुमकिन है
आइए हम सब अहद करें कि 2 माह 8 दिन के बाद साल के बाक़ी अय्याम भी इमामे हुसैन (a.s.) व कर्बला वालों की अज़ीम शहादत के मक़सद को पेशे नज़र रखते हुए एक मिसाली ज़िंदगी जियेंगे और अपने मआशरे को फ़िक्री तौर पर सेहतमंद बनाएंगे।
ख़ुदा हम सब को मौला हुसैन के अज़ादारों में शुमार फ़रमाए और दौलते सब्र-व-शुक्र से मालामाल फ़रमाए आमीन या रब्बल आलमीन