हज़रत उम्मुल बनीन का नाम फ़ातिमा-ए-कलाबिया था और आपके वालिद का नाम हेज़ाम इब्ने ख़ालिद था जिनका संबंध केलाब नामी क़बीले से था, आप बेहतरीन शायर और अदीब थीं और आप बहादुर ख़ानदान से थीं, आपके नाना आमिर इब्ने मालिक पैग़म्बर स.अ. के ज़माने में मौजूद थे और उनकी बहादुरी को देखते हुए उनको तलवारों और भालों का माहिर कहा जाता था।
आपने अपनी ज़िंदगी में बहुत सारी ऐसी चीज़ों को हासिल किया जो दुनिया कि बहुत सारी औरतों में देखने को नहीं मिलता, जिसको हम इस लेख में पेश कर रहे हैं।
इमाम अली अ.स. की बीवी होना
आपके फ़ज़ाएल में से एक इमाम अली अ.स. की बीवी होना है, ज़ाहिर है हर औरत इमाम अली अ.स. की बीवी होने के क़ाबिल नहीं हो सकती, इमाम अली अ.स. ने हज़रत ज़हरा की शहादत के बाद अपने भाई अक़ील से कहा कि मेरे लिए एक ऐसी औरत तलाश करो जिसका ख़ानदान पाक और बहादुर हो ताकि वह मेरे लिए ऐसे बच्चों की परवरिश कर सके कि वह कर्बला में मेरे हुसैन अ.स. की मदद कर सकें, हज़रत अक़ील जो अरब में नस्लों की पहचान को ले कर मशहूर थे उन्होंने कहा कि आप हेज़ाम इब्ने ख़ालिद की बेटी फ़ातिमा से शादी कर लीजिए।
अहलेबैत अ.स. के लिए आपकी क़ुर्बानी
एक मां के लिए उसके अपने बच्चे से बढ़ कर दुनिया में कोई चीज़ नहीं होती लेकिन दुनिया में केवल एक ही औरत ऐसी देखी गई जिसने किसी दूसरी औरत के बच्चों को अपने बच्चों से ज़्यादा अहमियत दी और उनकी हर इच्छा को पूरी करना अपनी दीनी फ़र्ज़ समझ कर अंजाम दिया, क्योंकि आप जानती थीं कि अल्लाह ने क़ुर्आन में पैग़म्बर स.अ. के घराने से मोहब्बत और उनकी इताअत को वाजिब कहा है, आपने अहलेबैत अ.स. की इस फ़ज़ीलत को समझ लिया था इसलिए पूरी ज़िंदगी बस यही कोशिश रही कि हज़रत ज़हरा स.अ. के बच्चों को कोई तकलीफ़ न पहुंचने पाए इसी लिए हमारे कुछ बुज़ुर्ग उलमा ने आपके अहलेबैत अ.स. के हक़ की सही मारेफ़त रखने वाली ख़ातून कहा है।
आप पैग़म्बर स.अ. के घराने से सच्ची मोहब्बत करती थीं और आपने ख़ुद को उन्हीं के घराने की ख़िदमत के लिए वक़्फ़ कर दिया था, यही वजह है कि ख़ुद अहलेबैत अ.स. भी आपका बहुत सम्मान करते थे, और जब हज़रत ज़ैनब स.अ. कर्बला से मदीना वापस पहुंचीं तो सबसे पहले आपके पास आईं और आपके चारों बेटों के अहलेबैत अ.स. पर क़ुर्बान होने और उनकी शहादत की ताज़ियत पेश की, आपका अपने चारों बेटों की पैग़म्बर स.अ. के घराने पर क़ुर्बान कर देना आपकी इस घराने से सच्ची मोहब्बत की दलील है।
आपकी इमामत और विलायत से मोहब्बत
जिस समय बशीर कर्बला की ख़बरों को ले कर मदीना पहुंचा और जैसे ही आपसे मुलाक़ात हुई और वह आपके बेटों की शहादत की ख़बर सुनाने लगा आप बार बार यही कहतीं मेरे बेटे हुसैन अ.स. के बारे में जल्दी बताओ, मेरे बेटे ही क्या इस नीले आसमान के नीचे जो कुछ है वह सब भी इमाम हुसैन अ.स. पर क़ुर्बान हो जाए तब भी आपकी अज़मत के सामने कम है , और फिर जैसे ही बशीर ने इमाम हुसैन अ.स. की शहादत की ख़बर दी आपने चीख़ मार के कहा ऐ बशीर इस ख़बर ने मेरे कलेजे के टुकड़े कर दिए, अपने वक़्त के इमाम के लिए इस तरह का बर्ताव कि अपने चार चार बेटों का ग़म भूल कर वक़्त के इमाम की जान की फ़िक्र करना आपकी मारेफ़त और इमामत और विलायत से मोहब्बत को साबित करता है।
आपका कर्बला के अलमदार की मां होना
कर्बला के तपते हुए जंगल में दीन को बचाने के लिए होने वाली जंग में इमाम हुसैन अ.स. की फ़ौज के अलमदार की होना यह कम गर्व की बात नहीं, और यह फ़ज़ीलत आपको अल्लाह ने दी थी, और हक़ीक़त भी यही है कि हज़रत अब्बास अ.स. जैसी शख़्सियत की परवरिश के लिए पाक दामन, नेक सीरत और पाकीज़ा आग़ोश होनी चाहिए ताकि इमाम की नुसरत और मदद करते हुए बहादुरी में ऐसी मिसाल पेश करे जो दुनिया के लिए आइडियल बन सके।
आपका बे मिसाल सब्र
इतिहासकारों ने लिखा है कि एक दिन इमाम अली अ.स. ने हज़रत अब्बास अ.स. को अपनी गोद में बिठाया और आस्तीन ऊपर उठा कर रोते हुए बाज़ू को चूमने लगे, आपने हैरत से पूछा आप क्यों रो रहे हैं? इमाम अली अ.स. ने हज़रत अब्बास अ.स. की इमाम हुसैन अ.स. की मदद करते हुए शहादत की ख़बर सुनाई, आप भी रोने लगीं लेकिन अपने ईमान की बुलंदी और सब्र की मिसाल पेश करते हुए अल्लाह का शुक्र अदा किया कि उसने पैग़म्बर स.अ. के बेटे की मदद के लिए हमारे बेटे को चुना है।
उम्मुल बनीन स.अ जनाबे ज़ैहरा स.अ की औलाद के साथ
उम्मुल बनीन स.अ ने जनाबे ज़ैहरा स.अ की औलाद को अपने बच्चों से अधिक मौहब्बत दी और सदा अपने बच्चों को नसीहत की, देखो तुम अली अ.स की औलाद ज़रूर हो परन्तु अपने आप को हमेशा ज़ैहरा स.अ के बच्चों का ग़ुलाम समझना।
इश्क़े हुसैन अ. स.
जब करबला की घटना के बाद बशीर ने आपको आपके चारों बेटों की शहादत की ख़बर दी तो जनाबे उम्मुल बनीन स.अ ने कहा कि ऐ,बशीर तूने मेरे दिल के टुकड़े टुकड़े कर दिये और ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया बशीर ने कहा कि ख़ुदावंद आपको इमाम हुसैन अ.स की शहादत पर अजरे अज़ीम इनायत करे, तो उम्मुल बनीन स.अ ने जवाब दिया, मेरे सारे बेटे और जो कुछ भी इस दुनिया मे है सब मेरे हुसैन अ.स पर क़ुरबान हैं।
औलाद
आपके चार बेटे हज़रत अब्बास अ. स. हज़रत अबदुल्लाह,हज़रत जाफ़र एंव हज़रत उस्मान थे जो सब के सब करबला के मैदान मे इमाम हुसैन अ.स के साथ शहीद हुए।
आपके और भी बहुत से फ़ज़ाएल हैं जिनको तारीख़ की किताबों में पढ़ा जा सकता है, और आपके यह सारे फ़ज़ाएल हमारे घर की औरतों के लिए आइडियल हैं।