सोशल मीडिया पोस्ट
जौनपुर लोकसभा का चुनाव आज पूर्ण हुआ, बीजेपी के कृपाशंकर सिंह और सपा के बाबू सिंह कुशवाहा मे जोरदार टक्कर है, जानकार लोग बता रहे हैं कि बीजेपी की कमजोर रणनीति ने अपनें बने हुए समीकरण को खुद बिगाड़ दिया।
पूर्व सांसद का दुर्भाग्य भी बीजेपी का सौभाग्य नही बन सका, उनको सजा हो गई उनकी पत्नी का टिकट कट गया, उन्होंने बीजेपी को समर्थन भी कर दिया था लेकिन जनपद के नेताओं का अंहकार इस मौके को भुना न सकी।
पूर्व सांसद को पूरे जनपद में रहने वाले सभी नेताओ में सबसे अधिक चुनाव लड़ने का अनुभव है, पूरे जनपद की एक एक बूथ और वहा के वोटरों की जानकारी है, अपनें लाखो लोग हैं, लेकिन बीजेपी के नेताओं ने उनका साथ क्यो नही लिया वही जानें।
कृपा शंकर सिंह मुंबई राजनीति के बड़े नाम है, वहा का चुनाव शहरी होता है, छोटे क्षेत्र का, वहा घर घर प्रचार से अधिक विचार धारा की लड़ाई होती है, लोकसभा का क्षेत्र बडा होता है और जौनपुर जैसे ग्रामीण इलाको में विभिन्न जातियों को मिलकर जोड़ना होता है।
कृपा शंकर सिंह के आते और धन्नजय सिंह के लड़ने की खबर से बीजेपी संगठन ने कृपा शंकर को अपने घेरे में ले लिया और अंत तक लिया ही रहा।
जौनपुर जनपद में बीजेपी का संगठन वैसे भी वेदम है, जो नेता जीते भी है वो गिरते पड़ते ये सभी जानते हैं लेकिन सीख कोई नही लिया।
धनंजय सिंह खाली हो गए थे उनका मन भी था लेकिन स्थानीय बीजेपी संगठन का अंहकार ने कृपा शंकर सिंह को धनंजय के नजदीक आने से रोके रहा, रोके ही नही रहा ये बताता रहा की उनके आने से वोट बिगड़ जाएगी।
पता नहीं कौन रणनीति कार था जिसकी आंखों पे पर्दा पड़ा था, जो आदमी निर्दल लाखो वोट का मालिक हो, विधान सभा में निर्दल अस्सी हजार वोट पाया हो, दो बार का विधायक, एक बार का सांसद, हर चुनाव का अनुभव, ऊर्जावान युवाओं की टीम का नायक हो, जिधर निकल जाता हो मैदान मे अपनी छाप छोड़ देता हो, उसको इस तरह छोड़ दिया जाय ये समझ के परे है।
चुनाव कठिन है, जौनपुर की मल्हनी जैसी कठिन सीट का चक्रव्यूह कोई तोड़ सकता था तो धनंजय सिंह बाकी कोई दूर दूर तक नही, अंतिम दो दिन में उन्होंने अकेले घूम के बूथ वालो को ललकार के थोड़ी जी जान लाई नही तो बीजेपी काफी पिछड़ जाती।
पता नहीं कौन हारेगा या जीतेगा लेकिन बीजेपी संगठन ने धनंजय सिंह दूरी बनवा के अपना स्वार्थ सिद्ध किया है, कृपा शंकर सिंह का बाहर से आना भी उन्हे खटक रहा था और धनंजय की बीजेपी से नजदीकी भी।
धनंजय व्यक्ति नही अकेली ऐक पार्टी हैं, उनका उपयोग न करना बीजेपी को दर्द देगा, अगर कहीं कुछ उलट पुलट हुआ तो पांच साल पछताना पड़ेगा और जीत भी होगी तो मार्जिन का दर्द बना रहेगा।