लेख- सरदार मनमोहन सिंह
श्री गुरु अर्जुनदेव जी को जिस दिन गर्म तवी पर बिठाया गया,उसी शाम को गुरु जी को वापिस जेल मे डाल दिया गया, और बहुत सख्त पहरा लगा दिया गया कि कोई भी गुरुजी से मिल ना सके, उस समय चँदू लाहोर का नवाब था।
जिसके हुकुम से ये सब हूआ था, उसी रात को चँदू की पत्नी, चँदू का पुत्र कर्मचंद और पुत्रवधू गुरु अर्जुनदेव जी से मिलने जेल मे गए तो सिपाहियों ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया, तो चँदू की पत्नी और पुत्रवधू ने अपने सारे जेवरात उतार कर सिपाहियों को दे दिये और उस जगह पहुंच गए जहाँ गुरु जी कैद थे।
जब चँदू के परिवार ने गुरुजी की हालत देखी तो सभी रोने लगे कि इतने बड़े महापुरुष के साथ ऐसा सलूक ?
तब चँदू की पत्नी ने कहा गुरुजी मैं आपके लिए ठंडा मिठा शरबत लेकर आई हूँ कृपया करके शरबत पी लिजिए, ये कहते हुए शरबत का गिलास गुरुजी के आगे रख दिया, तो गुरुजी ने मना कर दिया और कहा हम परण कर चुके हैं कि हम चँदू के घर का पानी भी नहीं पियेंगे।
ये सुन कर चँदू की पत्नी की आँखें भर आईऔर बोली कि मैंने तो सुना है कि गुरुजी के घर से कोई खाली हाथ नहीं गया पर
तब गुरु जी ने वचन किया कि माता इस मुख से तो मैं तेरा शरबत नहीं पियूँगा, पर हां एक समय ऐसा जरुर आएगा जब ये जो शरबत आप लेकर आयीं हैं, आपके नाम का ये शरबत हजारों लोग पिलाएंगे और लाखों लोग पिएंगे।आपकी सेवा सफल होगी।
आज ये छबील लगाई और पिलाई जाती है ये गुरु अर्जुन देव जी का वचन है, ये है छबील का इतिहास जो देश के हर गांव और शहर में ठंडे मिठे पानी की छबीलें लगाई जाती है