उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 में शिवपाल सिंह यादव ने वो दांव खेल दिया। जिससे नेता मुलायम सिंह यादव बड़े से बड़े राजनीतिक धुरंधरों को चित कर देते थे। शिवपाल सिंह यादव की इस चाल को भाजपा भी नहीं समझ सकी। यही वजह मानी जा रही है कि समाजवादी पार्टी ने यूपी में 37 सीटों पर अपनी जीत दर्ज करने में कामयाब रही। धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव का भी राजनीति के गलियारों में अपना एक अलग दबदबा है। सियासी अखाड़े में धुरंधरों को अपने चरखा दांव से चित करने वाले मुलायम उनके भाई ही नहीं राजनीति गुरु भी थे।
उन्हीं से सीखे हुए सियासत के दांव-पेच लगाकर शिवपाल सिंह यादव ने इस बार ऐसी बिसात बिछाई कि भाजपा कई सीटों पर चारों खाने चित हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव सपा से अलग हो गए थे। उन्होंने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बना ली थी। ऐसे में यादव परिवार दो फाड़ हो गया था। एक गुट अखिलेश के साथ था तो दूसरा शिवपाल के साथ था। इतना ही नहीं शिवपाल सिंह यादव ने स्वयं फिरोजाबाद से अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अक्षय भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन से महज 28781 वोट से हार गये थे। जबकि उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव 91 हजार से भी अधिक वोट काटने में कामयाब हो गये थे। ऐसे में कहीं न कहीं सपा की राह में उन्होंने ही रोड़ा अटकाया था।
मैनपुरी सीट की अगर बात करें तो मुलायम सिंह यादव के सामने शिवपाल सिंह यादव ने चुनाव तो नहीं लड़ा था। लेकिन कार्यकताओं में गुटबाजी के चलते मुलायम की जीत का ग्राफ एक लाख के नीचे आ गया था। वहीं बदायूं में भी धर्मेंद्र यादव को हार मिली थी। इस चुनाव में चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव एक साथ थे। ऐसे में शिवपाल सिंह यादव को अहसास था कि उन्हें 2019 में हुई गलती को सुधारना है। इसके लिए उन्होंने ऐसी चुनावी बिसात बिछाई कि भाजपा चारों खाने चित हो गई। फिरोजाबाद में उन्होंने जनसभा में खुलकर अपनी गलती स्वीकार किया।
जनता से अपील की कि मेरी गलती की वजह से मेरा भतीजा अक्षय चुनाव हारा था।इस बार ये गलती सुधारना है। जनता ने भी शिवपाल सिंह यादव पर भरोसा जताया और अक्षय यादव ने इस बार 89312 वोटों से जीत हासिल की। इसी तरह मैनपुरी में भी डिम्पल यादव की जीत के लिए शिवपाल सिंह यादव ने पूरा जोर लगाया। बदायूं में बेटे को जिम्मेदारी सौंपकर उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर की जिम्मेदारी संभाली। जसवंतनगर मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है।
शिवपाल सिंह यादव की मेहनत रंग लाई और जसवंतनगर ने डिम्पल यादव की जीत में सर्वाधिक 88132 वोट का योगदान किया।
बदायूं में पहले साधा समीकरण फिर बेटे को दी कमान
समाजवादी पार्टी ने पहले बदायूं से धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित किया था।ये सीट भी 2019 में भाजपा के पाले में चली गई थी। यहां से संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को हराया था। लेकिन बाद में जब शिवपाल सिंह यादव के चुनाव लड़ने को लेकर सवाल खड़े हुए तो सपा ने यहां प्रत्याशी बदल दिया। धर्मेंद्र की जगह शिवपाल सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया गया। शिवपाल सिंह यादव ने पहले बदायूं में बागियों को सपा के पक्ष में लाकर समीकरण साधे और फिर बेटे को सीट सौंप दी। इन्हीं समीकरणों के चलते बेटे आदित्य यादव ने बदायूं से जीत हासिल कर एक बार फिर से यहां सपा का परचम लहरा दिया।
धर्मेंद्र यादव के लिए भी किया मुखालफत जब धर्मेंद्र यादव को हटाकर शिवपाल सिंह यादव को बदायूं से प्रत्याशी बनाया गया तो शिवपाल सिंह यादव लम्बे समय तक बदायूं नहीं गए। सूत्रों की माने तो शिवपाल सिंह यादव इस बात पर अडिग थे कि जब तक धर्मेंद्र यादव को कोई सीट नहीं मिल जाती है तब तक वह बदायूं नहीं जाएंगे। क्योंकि बदायूं में धर्मेंद्र यादव के समर्थक इससे नाराज हो सकते थे।
धर्मेंद्र यादव को बाद में आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाया गया और वह भी जीतकर सांसद भी बन गये।