जश्ने ईदे ग़दीर हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न

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जौनपुर नगर के बलुआघाट स्थित हाजी मोहम्मद अली खाँ के इमामबारगाह में ईदे ग़दीर का आमाल मौलाना फ़ज़ले मुमताज़ साहब ने करवाया उसके बाद महफ़िल का आयोजन हुआ जिसमें नगर के बेहतरीन शायरों ने अपना अपना कलाम पेश किया। तत्पश्चात उन सभी शायरों को पुरुस्कार दे कर सम्मानित किया गया।

 

इस कार्यक्रम के व्यवस्थापक शहर गांव दर्पण (समाचारपत्र) के संपादक शब्बीर हैदर (अम्मार) ने किया जशने ईदे ग़दीर के अवसर पर शहर के मशहूर शायरों ने अपने-अपने गैर तरही कलाम को अपने-अपने खूबसूरत अंदाज में पेश किया इसके बाद मौलाना फज़ले मुमताज साहब ने ईदे ग़दीर का आमाल करा कर खुशी का इजहार किया।
आप को बताता चलू की जशने ईदे ग़दीर व आमाल सन 2009 में मरहूम अली हुसैन (भईया) पुत्र मरहूम इश्तियाक हुसैन ने अकेले इसकी शुरुआत की थी मरहूम अली हुसैन (भईया) के सन 2015 में इंतेक़ाल हो जाने के बाद से जशने ईदे ग़दीर के अमाल और महफ़िल के प्रोग्राम को उनके छोटे भाई अम्मार के द्वारा आज भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जिसमें सैकड़ो की संख्या मे लोग शिरकत करते है।

मरहूम अली हुसैन (भईया) के छोटे भाई अम्मार से वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि यह प्रोग्राम मेरे बड़े भाई ने कायम किया था इसलिए और जशने ईदे ग़दीर हमारी कौम के लिए ईद से बड़ी खुशी का दिन है इस दिन इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हज़रत मोहम्मद स.अ. ने अपने उत्तराधिकारी का ऐलान किया था इसदिन ग़रीबो को भोजन कराना चाहिए और नए नए वस्त्र धारण करना चाहिए लोगों को बधाईयाँ देना चाहिए।

इसलिए हम सभी जशने ईदे ग़दीर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और आगे भी इसी तरह मनाते रहेंगे।

इस कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में मिर्ज़ा जमील साहब का बड़ा योगदान रहा इस अवसर पर राजेश,रूबी,
शानू,जावेद,नौशी,नफ़ीस,क़ैफ़ी,रूमी,नजफ़,प्रिंस,सोनू,सूरज, मुन्ना,अब्बास,खुर्रम,जिम्मी,राजन,ज़ीशान,पत्रकार रियाजुल आदि लोग ग़दीर के मौके पर उपस्थित रहे और सभी को ढेरों बधाईयाँ दी।

 

 

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