बिना मान्यता के नगर में चल रहे हैं कई स्कूल

नगर के अधिकांश स्कूलों के पास नहीं है मान्यता और अग्निशमन विभाग की एनओसी।

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तामीर हसन शीबू

जौनपुर नगर क्षेत्र के विभिन्न चौराहों पर संचालित निजी स्कूलों में छात्रों का नामांकन बढ़ सके। इसके लिए स्कूल संचालकों की ओर से तरह-तरह के प्रभोलन अभिभावकों को दिए जा रहे है। पढ़ाई के साथ साथ बेहतर संसाधन होने का दावा किया जाता है। तो वहीं वॉल पेंटिंग, पंपलेट के अलावा सोशल मीडिया का सहारा निजी स्कूलों की ओर से लिया जा रहा है। दो बच्चों पर फीस कम कर दिए जाने का प्रभोलन भी अभिभावकों को दिया जा रहा है।

 

नामांकन के बाद अभिभावकों से जम कर पैसों का शोषण भी करने का आरोप लगाया जा रहा है।नवीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते बीच में स्कूल बंद रहे। अब एक जुलाई से पुनः

विद्यालय संचालित होने लगे हैं। नगर क्षेत्र के कई अभिभावकों का कहना है कि नगर क्षेत्र में निजी स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जिनमें बिना मान्यता वाले की संख्या भी अधिक बताई जा रही है। जिनमें से कुछ विद्यालयों में अभिभावकों से पैसों का जम कर शोषण भी किया जा रहा है। तमाम स्कूलों के द्वारा सोशल मीडिया के जरिए अभिभावकों को लुभाने का कार्य किया जा रहा है जिससे कि अधिक से अधिक दाखिले उनके विद्यालयों में बच्चों के हो सके।

महंगी किताबों पर मूकदर्शक हैं जिम्मेदार

प्राइवेट विद्यालय में नामांकन कराने को लेकर प्रबंध तंत्र काफी जद्दोजहद करता है, लेकिन महंगी किताब के मुद्दे पर जिम्मेदार मूकदर्शक बने रहते हैं। नगर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि प्राइवेट विद्यालयों के संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगानी चाहिए। प्राइमरी स्तर के बच्चों के किताबों पर दो से तीन हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं परिषदीय विद्यालयों में अच्छी शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को अन्य सरकारी सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है।

ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों का नजदीकी परिषदीय विद्यालय में नामांकन कराना चाहिए।

 

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