प्राइमरी के बाद अब ऐडेड डिग्री कॉलेज के प्रोफ़ेसर सामूहिक अवकाश के साथ करेगें धरना प्रदर्शन

31 जुलाई को उच्च शिक्षा निदेशालय पर धरना प्रदर्शन के लिए फुपुक्टा कॉलेजों में कर रहा बैठक • विज्ञापन संख्या 47 में चयनित शिक्षकों के स्थायीकरण, बायोमेट्रिक का विरोध, कैशलेस चिकित्सा, 5पीएचडी इंक्रिमेंट और 65 वर्ष सेवानिवृत, ट्रान्सफर है मुख्य मुद्दा

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उ०प्र० विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) के द्वारा शिक्षकों के लंबित 26 सूत्रीय मांग के लिए दिनांक 31 जुलाई 2024 को सामूहिक अवकाश पर रहने के साथ उच्च शिक्षा निदेशालय प्रयागराज, उ०प्र० पर धरना-प्रदर्शन में सम्मिलित होने का निर्देश के आलोक में प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, प्रयागराज (प्रसुआक्टा) ने भी सभी संबद्ध अनुदानित महाविद्यालयों के इकाई से शिक्षकों को सामूहिक अवकाश पर रहते हुए धरने पर शामिल होने के लिए आह्वाहन किया गया है। इसके संबंध में आज प्रताप बहादुर पोस्ट ग्रेजुएट इकाई शिक्षक संघ प्रतापगढ़ के अध्यक्ष प्रो ब्रह्मानंद प्रताप सिंह के निर्देशन में बैठक आयोजित किया गया जिसमें प्रताप बहादुर महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों के साथ एमडीपीजी कॉलेज, प्रतापगढ के प्रोफेसर रजवंत सिंह व डा अरुण वर्मा ने भाग लिया। इस बैठक की अध्यक्षता फुपुक्टा महामंत्री व एमडीपीजी प्रतापगढ़ के प्राचीन इतिहास विषय के प्रोफेसर प्रदीप कुमार सिंह द्वारा किया गया।

प्रोफेसर पीके सिंह ने इस बैठक में शिक्षकों को संबोधित करते हुए से उत्तर प्रदेश के सभी अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों का धरने में शामिल होने के लिए आह्वाहन किया और और बताया कई बार मौखिक वार्ता के माध्यम से शिक्षकों की मांग उच्च शिक्षा निदेशालय पटल पर रखा गया परंतु निदेशालय के अड़ियल रवैया के नाते यह धरना प्रदर्शन जरूरी हो गया है और जब तक हमारी मांग सुनी नहीं जाती है तबतक क्रमिक धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य है।
पीबीपीजी इकाई शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर ब्रह्मानंद प्रताप सिंह ने केंद्रीय विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों का सेवानिवृत्ति 65 वर्ष है उसी तरह से हम शिक्षकों को भी यह लाभ दिया जाना चाहिए।


प्रसुआक्टा वरिष्ठ संयुक्त मंत्री डा अखिलेश मोदनवाल ने कहा कि आज शासन हमारी मांगों को लेकर एकदम निरंकुश हो चुका है ऐसे में जरूरी है सभी 331 महाविद्यालयों के शिक्षकों को एकजुट होकर धरने में शामिल होना चाहिए हमारी संख्या ही हमारी ताकत है। एमडीपीजी कॉलेज के सैन्य विज्ञान विषय के प्रो रजवंत सिंह ने कहा विज्ञापन संख्या 47 में चयनित शिक्षकों के स्थाईकरण समय से न होने से शिक्षको में अनिश्चितता की भावना बन रही है कि आख़िर इन शिक्षकों का भविष्य क्या होगा।

प्रसुआक्टा वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ प्रणव ओझा ने बताया कि केवल अनुदानित महाविद्यालय में शिक्षकों कर्मचारियों और छात्रों के लिए बायोमेट्रिक थोपना पूरी शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने का एजेंडा बन गया है। जबकि बायोमेट्रिक को सेल्फ फाइनेंस कॉलेज से दूर रखा गया है। महाविद्यालय के शिक्षक केवल ड्यूटी आवर में ही काम नहीं करते हैं आज अधिकतर शिक्षक शोध कार्य से जुड़े हुए हैं शोध कार्य घंटा देखकर पूरा नहीं हो सकता। पीबीपीजी शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डा के के सिंह ने कहा कि राजकीय कर्मचारियों की तरह शिक्षकों को भी कैशलेस चिकित्सीय व्यवस्था मिलनी चाहिए।

 

डा देवेश कुमार सिंह के साथ डा अरुण वर्मा ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के अलांवा भाजपा शासित प्रदेश मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को 5 पीएचडी ना मिलना दुखद है इसे जल्द से जल्द लागू करने में यह धरना मील का पत्थर साबित होगा। इस बैठक में प्रो उपेन्द्र सिंह, डा राजीव सिंह, डॉ वर्षा जयसवाल, डा केके सिंह, डा राकेश सिंह ने भी अपनी अपनी बात रखी। इस बैठक में डा वंदना सिंह डा सी पी पांडे, डा राजेश श्रीवास्तव, प्रो रामराज, डॉ नीरज त्रिपाठी, डा जितेंद्र सैनी डॉक्टर कुलदीप सिंह आदि उपस्थित रहे।

 

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