विशाल धरना प्रदर्शन विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ द्रारा किया गया 

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प्रयागराज / इलाहाबाद।बुधवार को उ०प्र० विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ (FUPUCTA) के आवाहन पर एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। धरना स्थल उ०प्र० उच्च शिक्षा निदेशालय का परिसर था जिसमें झमाझम बारिश के बीच पूरे उ०प्र० के महाविद्यालय शिक्षक संघों के पदाधिकारीगण एवं अध्यापक मौजूद रहे। इस धरना प्रदर्शन के लिए एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर सारे शिक्षक समाज की सहमति बनी और यह प्रदर्शन पूरी ताकत से किया गया।

धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व फुपुक्टा के अध्यक्ष डॉ० वीरेन्द्र चौहान और महामंत्री प्रो० प्रदीप कुमार सिंह कर रहे थे। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय आजमगढ़ विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, बलिया विश्वविद्यालय आदि के शिक्षकों ने शिरकत किया।

उपभोक्ता प्रदेश अध्यक्ष प्रोफ़ेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा निदेशालय आज भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है हर छोटे-छोटे कार्यों के लिए शिक्षकों से धन उगाही की शिकायत लगातार आती रहती है आज इस विशाल जनसभा में साबित किया शिक्षक समुदाय निदेशालय की क्रियाकलापो और उसके आदेशों से कितनी पीड़ित है और यहां के अधिकारी निरंकुश हैं वहीं उपभोक्ता महामंत्री प्रोफेसर प्रदीप कुमार सिंह ने कहा यदि निदेशालय आज हमारी मांगों को नहीं मानता है तो यह धारणा मात्र शिक्षकों की तरफ से रोज की एक शुरुआत है आगामी समय में हम क्रमिक धरना प्रदर्शन करेंगे फिर भी यदि फिर भाई निदेशालय अपना अड़ियल रवैया बनाए रखना है तो शिक्षकों का यह हम विधानसभा का घेराव करने के लिए बात हो जायेगी।

 

विज्ञापन संख्या 47 के शिक्षक पदों का स्थाईकरण ना होना राज्य कर्मियों की तरह शिक्षकों को चिकित्सीय व्यवस्था न मिलाना यह दोयम दर्जे का व्यवहार शासfन के द्वारा शिक्षकों के प्रति किया जा रहा है। विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने एक सुर में शिक्षकों के मांग अविलंब मानने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय का आह्वाहन किया। प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, प्रयागराज (प्रसुआक्टा) के अध्यक्ष प्रो पवन कुमार पचौरी ने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति वर्ष 65 वसंत किए जाने की जाने के साथ बायोमेट्रिक आदेश वापिस लेना ही होगा शिक्षकों को कभी भी मजदूर के श्रेणी में नहीं रखना चाहिए। युवा शिक्षकों की तरफ से डा अखिलेश मोदनवाल ने कहा जब-जब फुपुक्टा शिक्षक हितों को लेकर आवाहन करेगी तब तक हम शिक्षक साथी निदेशालय से लेकर सचिवालय तक का घेराव करेंगे।
इस धरना प्रदर्शन में अपने विचारों को रखने वाले शिक्षक नेताओं में फुपुक्टा के अध्यक्ष डॉ० वीरेन्द्र सिंह, महामंत्री प्रो० प्रदीप कुमार सिंह, उपाध्यक्ष डॉ० हिमांशु सिंह, डॉ० अजीत सिंह, डॉ० शिव प्रकाश यादव, संयुक्त मंत्री डॉ० गंगेश दीक्षित, डॉ० रवि चौरसिया, जोनल सेक्रेटरी डॉ० श्योराज सिंह, डॉ० भारतेन्दु मिश्र, डॉ० आर०एम० यादव, डॉ० एस०के० सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ० अनिल यादव, बलिया विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ० अखिलेश राय, अवध विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ० विजय प्रताप सिंह, एवं महामंत्री डॉ० जितेन्द्र सिंह, बरेली विश्वविद्यालय के डॉ० स्वदेश सिंह, लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ मनोज पाण्डेय, डॉ० ध्रुव त्रिपाठी, काशी विद्यापीठ के महामंत्री डॉ० दिवाकर, पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ० विजय सिंह, डॉ० राहुल सिंह ए०आई० पुक्टा के पूर्व जोनल सेक्रेटरी डॉ० राजेश चंद्र मिश्र, प्रो० राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय के महामंत्री डॉ० विपिन कुमार, उपाध्यक्ष डा प्रणव ओझा, डॉ० सत्य प्रताप सिंह, डॉ० रमेश चंद्र शुक्ल, डॉ० अल्का तिवारी, डॉ० संतोष पाण्डेय, डॉ० सत्य प्रताप सिंह, डॉ० पवन पचौरी, डॉ० अरूण तिवारी, डॉ० संतोष पाण्डेय, डॉ० विवेक निराला, डॉ० सतीश त्रिपाठी, डॉ० माया शंकर, डॉ० अनिल कुमार यादव, डॉ० रजवंत सिंह, डॉ० रंजीत पटेल, डॉ० विपीन सिंह, डॉ० प्रथमेश पाण्डेय सहित आजमगढ़ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ० एस०जेड० अली महामंत्री, डॉ० इन्द्रजीत, डॉ० मनमोहन, डॉ० स्मिता मिश्रा, आगरा विश्वविद्यालय के डॉ० विक्रम सिंह, अध्यक्ष डॉ० ओमवीर सिंह आदि सहित हजारों की संख्या में शिक्षक मौजूद रहे। संचालन फुपुक्टा के कार्यालय सचिव डॉ० मनीष हिन्दवी ने किया।
निदेशालय की हठधर्मिता के विरूद्ध शिक्षक नेताओं ने अपनी बात रखी। बहुत दिनों से लंबित निदेशालय स्तर की माँगों को पुरजोर ढंग से उठाया गया है। निदेशालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, कदाचार पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया गया। यह धरना प्रदर्शन शिक्षकों की मुख्य लंबित मांगों पर थी जो सिलसिलेवार इस प्रकार है-

 

1. सेवानिवृत्ति के पश्चात जीवन-यापन के लिए पेंशन एक सुदृढ़ आधार है। इसलिये उच्च शिक्षा विभाग की ओर से पुरानी पेंशन बहाल करने हेतु एक सार्थक पहल होनी चाहिए।
2. उ०प्र० शासन के पत्रांक संख्या-16/2015/594/सत्तर-दो-2015-16 (246)/2010 दिनांक 23 जुलाई 2015 द्वारा माननीय श्री राज्यपाल महोदय की स्वीकृति से 1234 नवीन पदों का सृजन किया गया था किन्तु 1225 पदों पर ही नियुक्ति हुई थी जिस पर उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज द्वारा विज्ञापन सं० 47 के अन्तर्गत शिक्षकों का चयन हुआ और वे उन पदों पर वर्तमान में कार्यरत भी हैं। इन पदों के स्थायीकरण के लिये अनिवार्य 3 वर्षों का सततीकरण भी शासन द्वारा किया जा चुका है। स्थायीकरण न होने से इन पदों पर कार्यरत शिक्षक साथियों को मानसिक संत्रास के दौर से गुजरना पड़ रहा है। अतः महासंघ इन पदों के अविलम्ब स्थायीकरण की मांग करता है।
3. शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) उ०प्र० के पत्रांक शि०नि० (उ०शि०) 878/1216/2023-24 दिनांक 08.08.2023 के द्वारा अनुदानित महाविद्यालयों में लागू गयी प्राचार्यों/ प्राध्यापकों एवं छात्र/छात्राओं की बायोमैट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त की जाय। यह आदेश निजीकरण को प्रश्रय देने वाला एवं सभी को समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने की संवैधानिक भावना का उल्लंघन है इससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र/छात्रायें उच्चा शिक्षा से वंचित हो जाएंगे तथा यह उच्च शिक्षा के नवाचार, शोध एवं नई शिक्षा नीति के उन्नयन में बाधक है।
4. विगत सरकार के समय में ही पी-एच०डी० इंक्रीमेंट की घोषणा तत्कालीन मा० उच्च शिक्षा मंत्री ने कर दी थी। जिसकी सम्भवतः वित्तीय स्वीकृति भी प्राप्त हो गयी थी। अतः आपसे अनुरोध है कि इसे अविलम्ब लागू करने का कष्ट करें।
5. स्थानान्तरण की जटिल प्रक्रिया को सुगम करते हुए इसकी समय सीमा एक वर्ष, NOC की बाध्यता समाप्त कर, ऑनलाइन स्थानान्तरण की सुविधा एवं रोस्टर जैसी विसंगति पद को दूर किया जाय तथा जो विज्ञापित हो किन्तु उस पर चयन की प्रक्रिया पूर्ण न हुई पद हो उस पर भी एकल स्थानान्तरण किया जाय और स्थानान्तरण से रिक्त पद पर चयनित अभ्यर्थी का समायोजन किया जाये।
6. यू०जी०सी० नियम 2018 एवं शासनादेश संख्या 1190/सत्तर-1- 2019-16 (114) 2010 दिनांक 15.10.19 में प्राविधानित उपार्जित अवकाश के नगदीकरण के शासनादेश को क्रियान्वित किया जाय।
7. राज्य कर्मचारियों की भांति अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों को भी निःशुल्क चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया जाय। प्रोफेसर पदनाम अर्हता तिथि से दिया जाय एवं यू०जी०सी० अधिनियम 2018 की धारा
8. 19.2 के अनुसार एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि (नोशनल इंक्रीमेंट) दिया जाये।
9. मानदेय के आमेलित शिक्षकों की प्रोन्नति में पूर्व सेवा का आगणन कर प्रोन्नति में उसका लाभ दिया जाय एवं आमेलन से बचे शिक्षकों का शीघ्र आमेलन किया जाय।
10. यू०जी०सी० की सिफारिशों के आलोक में मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड आदि राज्यों की तरह उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष किया जाय।
11. आपके पत्र संख्या 1058 /सत्तर-1-2023-18 (11) 2014/टी०सी० ॥ द्वारा प्रदेश स्थित उच्च शिक्षा विभाग की समस्त उच्च शिक्षण संस्थाओं हेतु घोषित शैक्षणिक कलेन्डर 2023-24 को यू०जी०सी० अधिनियम 2018 जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने शासनादेश संख्या 1190/सत्तर-1-2019-16 (114) / 2010 द्वारा अंगीकृत कर लिया है, के आलोक में संशोधित किया जाय।
12. पूर्व की भांति फीडर कैडर का लाभ शिक्षकों को पुनः दिया जाय।
13. जब तक ओ०पी०एस० लागू नहीं होती तब तक एन०पी०एस० की विसंगतियों को तत्काल दूर कर एन०पी०एस० का अपडेशन राजकीय महाविद्यालय की तरह किया जाय।
14. यू०जी०सी० अधिनियम 2018 तथा शासनादेश 1190/सत्तर-1-2019-16(114) 2010 दिनांक 15.10.2019 की धारा 6.3 में दिये गये प्रोन्नति हेतु विकल्प (यू०जी०सी० अधिनियम 2010) चतुर्थ संशोधन 2016 एवं यू०जी०सी० के पत्र No. F-9-1/2010 (PS/MISC) PL.. Vol-II दिनांक 20 जून 2024 के आलोक में पूरे प्रदेश के ऐसे शिक्षकों की प्रोन्नति जो पी-एच०डी० नहीं है अतिशीघ्र की जाय।
15. अनुदानित महाविद्यालयों के अवकाश प्राप्त शिक्षकों को भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 30.04.2024 के आदेश के अनुसार ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाय।

16. पुस्तकालय संवर्ग के शिक्षक साथियों की सेवा शर्तों के सन्दर्भ में आ रही समस्याओं का निराकरण करते हुए उन्हें शिक्षकों की भांति सुविधाएँ प्रदान की जाय।
17. अनुदानित महाविद्यालयों के अनुमोदित शिक्षकों का भी विनियमितीकरण किया जाय।
18. अवकाश प्राप्त शिक्षकों की पेंशन एवं जी०पी०एफ० भुगतान की समस्या सबसे विकराल है। कई जनपदों मे जी०पी०एफ० खातों में धन का अभाव एक प्रमुख समस्या है। इसलिए जी०पी०एफ० एवं पेंशन हेतु एक समय सीमा निर्धारित की जाय।
19. शासनादेश 01.05.12 के अनुसार पुनरीक्षित वेतन संरक्षण में वेतन निर्धारण की व्यवस्था में सुधार करते हुए वेतन निर्धारण किया जाय एवं वरिष्ठ शिक्षकों को वंचिग का लाभ दिया जाय।
20. उ०प्र० शासन के पत्र संख्या 1607/सत्तर-1-2021-16(43)/2021 दिनांक 01.11.21 के अनुक्रम में महाविद्यालयों के एसो० प्रोफेसर जो प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत हुये हैं, को भी विश्वविद्यालयों के विभिन्न प्राधिकारी परिषदों में प्रतिनिधित्व दिया जाये एवं महाविद्यालयों से सम्बन्धित विश्वविद्यालयों द्वारा बनायी जाने वाली विभिन्न समितियों में महाविद्यालयों के प्रोफेसरों को ही वरीयता दी जाये।
21. उ०प्र० शासन के पत्र सं० 11/2024/सा-3-2027/10-19099/4/2024 दिनांक 12 जून 2024 के अनुसार 30 जून/31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों को भी राज्य कर्मचारियों की भाँति पेंशन गणना हेतु एक नोशनल वेतन वृद्धि जोड़ी जाये।
22. उ०प्र० शासन के शासनादेश सं० 14/2024/सा-3-243/दस-2024/301 (1) 2024 के बिन्दु सं० 4 में स्पष्टतः उल्लेख है कि 28.03.2005 के पूर्व विज्ञापित / अधिसूचित किये गये पदों पर नियुक्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन से आच्छादित किया जायेगा। लेकिन निदेशालय उच्च शिक्षा द्वारा निर्गत पत्र एवं विकल्प पत्र पृ०सं०-डिग्री अर्थ-1/1677-85/2024-25 दिनांक 11.07.2024 में केवल विज्ञापन का उल्लेख है।

इसमें सुधार करके विज्ञापन / अधिसूचित शब्द को जोड़ते हुये विकल्प पत्र जारी किया जाये।
23. निदेशालय (उच्च शिक्षा) में सिटीजन चार्टर कड़ाई से लागू किया जाय एवं सभी प्रोन्नति के प्रकरणों, पेंशन जी०पी०एफ० हेतु एक चेक लिस्ट जारी की जाय कि इन प्रकरणों में किन-किन प्रपत्रों की आवश्यकता होगी और महाविद्यालयों तथा क्षेत्रीय कार्यालयों से चेक होने के बाद अनावश्यक रूप से कागजों एवं प्रपत्रों की कमी का बहाना निदेशालय स्तर 24. पर न बनाया जाय एवं निश्चित समयावधि में प्रकरणों का निस्तारण किया जाय। परीक्षा पारिश्रमिक की विभिन्न मदों में एवं विश्वविद्यालय के कार्यों हेतु आवागमन करने हेतु टी०ए०, डी०ए० में वृद्धि की जाये।
25. NEP में 25 प्रतिशत परीक्षा का संचालन / मूल्यांकन महाविद्यालयों द्वारा कराया जाता है जिसका अंक भी मूल अंक में जुड़ता है शेष 75 प्रतिशत परीक्षा का संचालन / मूल्यांकन विश्वविद्यालयों द्वारा किया जाता है इसलिए परीक्षा शुल्क का 25 प्रतिशत भाग आन्तरिक परीक्षा सम्पन्न कराने एवं उसका मूल्यांकन कराने हेतु महाविद्यालयों को दिया जाये।

सभी मण्डल मुख्यालयों पर क्षेत्रीय कार्यालय खोले जांय
26. इनमें से कई समस्याओं का निदान अविलम्ब हो सकता है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि महासंघ एवं शासन स्तर पर सकारात्मक वार्ता का भी अभाव हो गया है। महासंघ अनवरत वार्ता का पक्षधर रहा है और कई बार शासन एवं निदेशालय स्तर पर समस्याओं को संज्ञान में भी लाया है। लेकिन बहुत क्षोभ का विषय है कि शिक्षक समस्यायें उसी प्रकार बनी हुयी हैं।

मांग में यह अनुरोध है कि उक्त समस्याओं एवं लम्बित माँगों का शीघ्र निस्तारण कराने का कष्ट करें। संगठन आपका आभारी रहेगा कार्यक्रम की जानकारी अध्यक्ष डॉ० वीरेन्द्र सिंह चौहान महामंत्री डॉ० प्रदीप कुमार सिंह द्रारा संयुक्त रूप से दी गई है!

 

 

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