बंटेंगे तो कटेंगे,सीएम योगी का हार्डकोर हिंदुत्व भाजपा के लिए कितना फायदेमंद:धनंजय सिंह

रिपोर्ट पत्रकार सुनील मिश्रा

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लखनऊ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजकल हिंदुत्व को लेकर अपने पुराने दिनों की तरह बेहद मुखर हो गए हैं।वो अपने पुराने तेवर में हैं।योगी आदित्यनाथ का यही तेवर ही भाजपा में पोस्टर बॉय बनाने में मददगार रहा,लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने राजधर्म अपना लिया।लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार और भाजपा में अपने खिलाफ उठती आवाज ने शायद योगी को फिर से अपने पुराने रूप में लौटने के लिए प्रेरित किया है।

पिछले दिनों सीएम योगी कुछ फैसलों और उनके बयानों से लगता है कि वे फिर से उग्र हिंदुत्व की ओर बढ़ रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार ने शायद सीएम योगी को बहुत व्यथित कर दिया है या फिर उसे वो रानजीतिक रूप से हिंदुओं को मोबिलाइज करने के लिए महत्वपूर्ण समझ रहे हैं।जब भी बांग्लादेश को लेकर मुंह खोला चर्चा का केंद्र बने।

आगरा में वीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण करते हुए सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर कुछ ऐसा ही बड़ा बयान दिया,जिस पर विवाद होना तय था।बंटेंगे तो कटेंगे जैसा बयान देकर योगी ने अपने विरोधियों को एक और मौका दे दिया,लेकिन योगी जानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और AIMIM के मुखिया असद्दुदीन ओवैसी उनके खिलाफ जितना बोलेंगे उतना ही यूपी में वे और मजबूत होंगे,लेकिन बात यहीं तक होती तो कुछ और बात होती।अब योगी भाजपा के बड़े नेता हैं,प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।अब योगी जो बोलते हैं उस पर देश के साथ-साथ पड़ोसी देश भी गौर करता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आगरा पहुंचे थे।आगरा में एक कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम योगी ने ब़ड़ा बयान दिया।सीएम ने कहा कि हम सबको एक रहना होगा,अगर बंटेंगे तो कटेंगे।बांग्लादेश से सबक सीखिए,एक रहना है बंटना नहीं है,एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे। बांग्लादेश वाली गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए।
सीएम योगी ने मुगल बादशाह औरंगजेब को दुष्ट बताते हुए कहा कि उसका संबंध भी इसी आगरा से था।इसी आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सत्ता को चुनौती दी थी और उससे कहा था कि तुम चूहे की तरह ऐसे तड़पते रह जाओगे,लेकिन हिन्दुस्तान पर तुझे कब्जा तो नहीं करने देंगे।
दरअसल सीएम योगी ने पिछले दिनों कम से 4 मौकों पर अपने ऐसे हाव भाव दिखाए,जिसमें उनका पुराना तेवर देखा जा सकता है।जुलाई महीने के अंत में यूपी सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया,जिससे उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 को और अधिक सख्त बना दिया गया। कावड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे विक्रेताओं और दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम प्रदर्शित करने का आदेश पारित करना भी इसी क्रम में माना गया,जो मुसलमानों के खिलाफ माना गया।पिछले सप्ताह भी सीएम योगी ने बांग्लादेश संकट और पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति पर आरोप लगाया कि वोट-बैंक की राजनीति के कारण विपक्ष उनके बारे में चुप्पी साधे हुए है। सीएम योगी ने कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करना और संकट के समय में उनका समर्थन करना हमारा कर्तव्य है और हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे,परिस्थितियां कैसी भी हों,हमारे मूल्य अटल रहते हैं, बांग्लादेश में हिंदू होना कोई गलती नहीं बल्कि एक आशीर्वाद है।अयोध्या सामूहिक दुष्कर्म केस में भी एक मुस्लिम के आरोपी होने पर उसके खिलाफ सीएम योगी ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया।जाहिर है कि हिंदुत्व को लेकर अब वो बेहद मुखर हैं।

भाजपा इस समय कोई भी हार बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है।चाहे इसके लिए भाजपा को कोई भी कुर्बानी देनी पड़े।जम्मू-कश्मीर जीतने के लिए भाजपा ने एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा रखा है।घाटी में जीत दर्ज करने के लिए भाजपा 15 मुस्लिमों को प्रत्याशी बनाने का विचार कर रही है। आज सोमवार को आई जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों की 15 लोगों की लिस्ट में ही लगभग 7 मु्स्लिम हैं। जाहिर है कि घाटी में जीत दर्ज करने के लिए हिंदुत्व को लेकर भाजपा को थोड़ा विनम्र बनना होगा।जम्मू-कश्मीर में अगर भाजपा को सरकार बनानी है तो कम से कम 46 सीटें जीतनी होंगी।जम्मू के हिस्से में 43 सीट है जबकि कश्मीर के हिस्से में 47 सीट है।जम्मू में लगभग 31 सीट हिंदू बहुल हैं।सीधा सा मतलब है कि बहुमत के लिए भाजपा को मुस्लिम बहुल वाली भी कुछ सीटें जीतनी होंगी।अगर विधानसभा में किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो किसी अन्य दल के समर्थन के लिए भी भाजपा को ऐसी छवि बनानी होगी जो कट्टर हिंदुत्व वाली पार्टी से अलग हो।

भारत और बांग्लादेश का संबंध नाजुक हालत में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषणों का गलत प्रभाव पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है।वो जो भी कह रहे हैं उसे तोड़ मरोड़ कर बांग्लादेश में दिखाया जाएगा।इन सबके पीछे भारत विरोधी लॉबी बुरी तरह पीछे पड़ी हुई है।बांग्लादेश में आई बाढ़ के पीछे भारत का हाथ बताया गया है।भारत सरकार को सफाई देनी पड़ी है।बांग्लादेश के आम लोगों को लगता है कि शेख हसीना को शह देकर भारत मलाई काट रहा था। बांग्लादेश में भारत में हो रही घटनाओं को इस तरह तोड़ा मरोड़ा जाता है कि वहां हिंदुओं पर हमले का नैतिक आधार तैयार हो सके।भारत में विपक्ष जिस तरह सीएम योगी के बयान की आलोचना कर रहा है इससे भी बांग्लादेश को भारत के खिलाफ आग उगलने का मौका मिलेगा।अखिलेश यादव कहते हैं कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं उन्हें कम से कम प्रधानमंत्री का रोल प्ले नहीं करना चाहिए,ये काम प्रधानमंत्री जी का है,दुनिया में किसके साथ कैसे संबंध रखने हैं।मुझे उम्मीद है कि दिल्ली वाले उन्हें समझाएंगे कि दिल्ली के फैसलों में हस्तक्षेप न करें।असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह एकता की बात करते हैं,हममें एकता कैसे होगी।आज भी उनके शासन में यूपी में अन्याय होता है, फर्जी एनकाउंटर होता है,बुलडोजर कार्रवाई होती है,बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसके जिम्मेदार हम कैसे हैं।

दरअसल पिछले दिनों जिस तरह सीएम योगी के खिलाफ भाजपा में माहौल बन रहा था उससे निपटने के लिए सीएम योगी ने हार्ड कोर हिंदुत्व के अपने पुराने रूप में लौटने के लिए मजबूर हुए हैं।यूपी में जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सीएम योगी समझते हैं कि अगर उपचुनावों में उन्होंने कमाल कर दिया तो भाजपा में उनकी साख पहले जैसी एक बार फिर हो जाएगी।भाजपा भी कमोबेश यही समझती है। भाजपा को पता है कि हिंदुओं के ध्रुवीकरण के अलावा यूपी में जीत की गारंटी और कुछ भी नहीं है।विकास का मुद्दा यूपी में नहीं चलता,जातिवाद सबसे ऊपर हो जाता है,जिस तरह सपा ने पिछड़ों और दलितों को एकजुट किया है अगर उससे निपटना है तो हार्डकोर हिंदुत्व की राह पर ही चलना होगा।

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